Hindi 10th Previous Year Question Paper 2019 SET-II (CBSE)

हिन्दी

खण्ड ‘क’

प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर  लिखिए। 

आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में ही शौक हानिकारक है दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उन में अश्लीलता,  अन आस्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। छोटे बालक मानसिक रुप से परिपक्व नहीं होते। इसमें भेजो भी देखते हैं उनका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वैसी ही अपना लेते हैं  समाज शास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज के चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है । बिना समय की पाबंदी के घटकों दूरदर्शनबिल्कुल गलत है।  कैसे मान सकता विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है। 

(क)  आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?

(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव केंद्र अधिक पड़ता है और क्यों?

(ग)  दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव है?

(घ) ‘ बाल्यावस्था’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए। 

(ड) उपन्यास के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 

उत्तर: (क) आजकल दूरदर्शनओं के धारावाहिकों का स्तर का घटता जा रहा है उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन लता नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। 

(ख)  दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वह मानसिक रूप से परिपक्व होता है।  वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है। 

(ग)  दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव है जैसे इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है।  इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है। नजर कमजोर पड़ती है घंटो दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी कट जाती है। 

(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि विच्छेद बाल +अवस्था है

(ड़) उपयुक्त का शीर्षक दूरदर्शन के प्रभाव।

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

कोलाहल हो, 

या सन्नाटा, कविता सदा सृजन करती है, 

जब भी आँसू 

हुआ पराजित, कविता सदा जंग लड़ती है। 

जब भी कर्ता हुआ अकर्ता, 

कविता ने जीना सिखलाया 

यात्राएँ जब मौन हो गईं 

कविता ने चलना सिखलाया 

जब भी तम का 

जुल्म चढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है, 

जब गीतों की फसलें लुटती 

शीलहरण होता कलियों का, 

शब्दहीन जब हुई चेतना 

तब-तब चैन लुटा गलियों का 

जब कुर्सी का 

कंस गरजता, कविता स्वयं कृष्ण बनती है। 

अपने भी हो गए पराए

यूँ झूठे अनुबंध हो गए 

घर में ही वनवास हो रहा 

यूँ गूंगे संबंध हो गए।

(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सूजन करती है? स्पष्ट कीजिए। 

(ख) भाव समझाइए जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।’ 

(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?

(घ) “परस्पर संबंधों में दरियाँ बढ़ने लर्गी-यह भाव किस पंक्ति में आया है? 

(ङ) कविता जीना कब सिखाती है? 

अथवा 

जो बीत गई सो बात गई 

जीवन में एक सितारा था, 

माना, वह बेहद प्यारा था, 

वह डूब गया तो डूब गया। 

अंबर के आनन को देखो, 

कितने इसके तारे टूटे 

कितने इसके प्यारे छूटे, 

जो छूट गए फिर कहाँ मिले; 

पर बोलो टूटे तारों पर, 

कब अंबर शोक मनाता है? 

जो बीत गई सो बात गई। 

जीवन में वह था एक कुसुम, 

थे उस पर नित्य निछावर तुम, 

वह सूख गया तो सूख गया; 

मधुबन की छाती को देखो, 

सूखी कितनी इसकी कलियाँ, 

मुरझाई कितनी बल्लरियाँ, 

जो मुरझाई फिर कहाँ खिल, 

पर बोलो सूखे फूलों पर, 

कब मधुबन शोर मचाता है? 

जो बीत गई तो बात गई। 

(क) जो बीत गई सो बात गई से क्या तात्पर्य है। स्पष्ट कीजिए। 

(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए, और क्यों? 

(ग) “सूखे फूल’ और ‘मधुबन के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए। 

(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा किसे माना होगा? 

उत्तर: (क) कविता हमेशा ही कठिन परिस्थितियों को हमारे अनुकूल कर नए पथ का सृजन करती है। जब आँसू पराजित हो जाते हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों से जंग लड़ती है। जब कर्ता हताश हो जाता है तो उसमें नई उमंग भरती है। कविता एक ऐसे नए सूरज को निर्माण करती है जो नया सवेरा लाता है। 

(ख) “जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है-को भाव यह है कि जब-जब अंधेरा अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर उन्हें प्रतिकूल बनाती है। 

(ग) गलियों का चैन शब्दहीन निर्दय चेतना द्वारा लुटता है। 

(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगी :- यह भाव अपने भी हो गए पराए में आया है। 

(ङ) जब कर्ता अकर्ता हो जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो कविता उसे जीना सिखाती है। 

अथवा 

उत्तर: (क) जो बीत गई सो बात गई से तात्पर्य है कि जो बीत गया वो हमारा कल था और वह दोबारा नहीं आएगा। अतीत के दुःखों को याद कर रोने से कोई लाभ नहीं। 

(ख) अंबर की ओर रात्रि में देखना चाहिए, जब उसमें अनगिनत तारे होते हैं क्योंकि तारे प्रतिदिन टूटते हैं पर अंबर हमेशा ही वैसा का वैसा रहता है। चाहे नए तारे आए या पुराने टूटे। 

(ग) मधुबन का अर्थ बगीचा एवं सूखे फूल मधुबन में मुरझाए फूल।। 

(घ) टूटे तारों का शोक अंबर नहीं मनाता है। 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके इर्द-गिर्द हमारी दुनियाँ घुमती है। 

 

खण्ड ‘ख 

प्रश्न 3. निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए- 

(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए) 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत याद है। रेखांकित उपवाक्य का भेद बदलिए) 

(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। मिश्र वाक्य में बदलिए) 

उत्तर: (क) संयुक्त वाक्य मैंने उस व्यक्ति को देखा पर वह पीड़ा से कराह रहा था। 

(ख) सरल वाक्य-परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है। 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है’-प्रधान उपवाक्य 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है-प्रधान उपवाक्य 

(घ) जहाँ कश्मीरी गेटका निकाल्सन कब्रगाह तथा वहाँ उनका ताबूत उतारा गया। 

अथवा 

(घ) उनका ताबूत उतारा गया जहाँ कश्मीरी गेट का निकत्सन कब्रगाह था। 

 

प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-

(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका।। (भाववाच्य में बदलिए) 

(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही चोषित कर दिया गया था। (कर्तवाच्य में बदलिए) 

(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ङ) घायत हंस उड़ न पाया। भाववाच्य में बदलिए। 

उत्तर. (क) कर्मवाच्य- बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी। 

(ख) भाव वाच्य- बीमारी के कारण वह यहाँ नहीं आ सकता। 

(ग) कर्तृवाच्य-माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था। 

(घ) अवनि के द्वारा चाय बनायी गयी। 

(ङ) भाववाच्य घायल हंस उड़न सका। 

 

प्रश्न5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए 

(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं। 

(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था। 

(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।

(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय में पूरा कर लेती है। 

(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है। 

उत्तर: (क) पढ़ती है- एकवचन, क्रिया, स्त्रीलिंग 

(ख) यहाँ- सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया विशेषण 

(ग) वे- बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक। 

(घ) परिश्रमी- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, विशेषता विशेषता स्पष्ट करता है। 

(ङ) रवि- व्यक्ति वाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक। 

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

(क) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए। 

(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए 

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप, 

साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप। 

घंटा भर आलाप राग में मारा गोता.

धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। 

(क) उत्साह किस रस का स्थायी भाव है? 

(ख) वात्सल्य रस का स्थायी क्या है? 

(ग) शृंगार रस के कौनसे दो भेद हैं। 

उत्तरः करुण रस का उदाहरण उभरी नसों वाले हाथ घिसे नाखूनों वाले हाथ पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ जूही की डाल से खुशबूदार हाथ गंदे कटे-पिटे हाथ जख्म से फटे हुए हाथ खुशबू रचते हैं 

(क) हाथा 

(ख) हास्यरस 

(ग) उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है। 

(घ) वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सल है। 

(ङ) श्रृंगार रस के दो भेद संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार 

 

खण्ड ‘ग’ 

प्रश्न 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है. लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?” 

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? 

(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता 

उत्तर: (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था। 

(ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार थे। 

 

प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा है?

(ख) मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।

(ग) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?

(घ) बालगोबिन भगत सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?

(ङ) लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा।

उत्तर:(क) जिस प्रकार यज्ञ की पवित्र अग्नि अपने चारों ओर के वातावरण को शुद्ध पवित्र करके महका देती है और लम्बे समय तक वह पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है, ठीक उसी प्रकार फादर बुल्के भी अपने स्नेह और ममता की छाँव से सबको सराबोर कर देते थे। 

(ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाले राजनीतिक पार्टियों के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आजादी की सीमा थी, लेकिन मन्नू की आजादी की सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की। वैचारिक टकराहट थी। क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी।

(ग) बच्चों द्वारा नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाया जाना यह उम्मीद जगाता है कि हमारी भावी पीढ़ी में देशभक्ति की भावना प्रबल है। इस देश के नवनिर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा-बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर है। बड़े व्यक्तियों से कहीं अधिक बड़े देशभक्त हमारे नौनिहाल हैं हमारा देश सुरक्षित हाथों में है।

(घ) बालगोबिन भगत का मानना था कि ऐसे व्यक्तियों को अधिक प्यार और स्नेह की आवश्यकता होती है। जो लोग मानसिक रूप से सुस्त और बोदा होते हैं माता पिता के उनके प्रति कर्तव्य और भी बढ़ जाते हैं। वे प्रेम और ममता के अधिकारी सामान्य लोगों से ज्यादा होते हैं। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार उपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

(ङ) लेखक नयी कहानी की रचना करना चाहते थे, उन्होंने सोचा कि मुफ्फलिस की ट्रेन में सेकण्ड क्लास का डिब्बा बिल्कुल खाली होगा जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकान्त में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे। जिस कारण उन्होंने एकांत की दृष्टि से सेकण्ड क्लास का टिकट खरीदा।

 

प्रश्न 9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वकपढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः 

जितनी ही दौड़ातू उतना ही भरमाया। 

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, 

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। 

जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन 

छाया मत छूना मन, 

होगा दुख दूना। 

(क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ? 

(ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? 

(ग) मृगतृष्णा का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए। 

उत्तर (क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति में कवि यह तथ्य अवगत कराना चाहते हैं कि मनुष्य को इस यथार्थको स्वीकार कर लेना चाहिए कि जीवन में सुख-दुख का चोली दामन का साथ होता है। जीवन में केवल सुख रूपी चाँदनी रातें ही नहीं 

अपितु दुख रूपी अमावस्या भी आती है। 

(ख) कवि ने यथार्थ पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है। 

(ग) मृगतृष्णा का शाब्दिक अर्थ है-धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही मृगतृष्णा है। 

 

प्रश्न 10.  निम्नलिखित में से किन्हीं चीर प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है? वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?

(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर बसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।

(ग) परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?

(घ) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए।

(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को ‘दंतुरित मुस्कान’ क्यों कहा है? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:(क) संगतकार की मनुष्यता यह है कि वह हमेशा स्वयं को मुख्य गायक के पीछे ही रखता है वह अपनी मनुष्यता बनाए रखने के लिए कभी भी मुख्य गायक को अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता। वह हमेशा मुख्य गायक को ऊँचाई पर रखता है। जब मुख्य गायक का स्वर कभी अनहद में भटक जाता है तो संगतकार उन सुरों को सँभालने का कार्य करता है और मुख्य गायक को हताश नहीं होने देता। इस प्रकारे वह अपनी मनुष्यता को बनाकर रखता है। 

(ख) कवि निराला फागुन और बसंत की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चारों ओर प्रकृति में अद्भुत सौंदर्य बिखरा हुआ है। बसंत का मादक सौंदर्य आँखों में समा नहीं पा रहा है। पेड़ों पर नए पल्लव दल लाल और हरे रंग के आ गए हैं। प्रकृति के गले में रंग बिरंगे पुष्पों की माला सजी हुई है। चारों ओर खुशहाल वातावरण है। बसंत की शोभा मंत्रमुग्ध करने वाली है। जिसको आँखें स्वीकार नहीं कर पा रही हैं।

(ग) परशुराम बोले हे लक्ष्मण सहस्रबाहु की हजार भुजाओं को काटने वाली मेरी इस कुल्हाड़ी की ओर देखो। यह गर्भ के शिशुओं को भी नहीं छोड़ती। यह बड़ी क्रूर है पल भर में मैं तुम्हें काल का निवाला बना दूंगा। मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ, मैंने अपनी भुजाओं के बल से धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था और अनेक बार इस धरती को जीतकर ब्राह्मणों को दान में दे दिया था।

(घ) हमारी दृष्टि में कन्या के साथ दाने की बात करना उचित नहीं है। दान तो किसी वस्तु का किया जाता है। कन्या कोई दान की वस्तु नहीं है लेकिन दान से तात्पर्य है कि अपनी कोई प्रिय वस्तु किसी दूसरे के हाथों में सौंप देना। ठीक उसी प्रकार माँ भी अपनी पुत्री को विवाह के समय सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देती है जो उसकी अमूल्य पूँजी होती है। अतः कन्या के विवाह को दान का नाम दिया गया है।

(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा है अर्थात् शिशु के नए दांतों की मुस्कान। शिशु की दंतुरित मुस्कान कवि के लिए मृतक में भी जान डाल देने वाली है कवि के मन पर शिशु की मुस्कान का यह प्रभाव पड़ता है कि उसे लगता है कि कमल का फूल तालाब को छोड़कर स्वयं उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया है। कवि अत्यंत प्रफुल्लित और आश्चर्यचकित है। 

 

प्रश्न 11. जार्ज पंचम की नाक पाठके माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है? 

अथवा 

प्रश्न 11. सिक्किम की युवती के कथन मैं इंडियन हूँ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से। अधिक महत्वपूर्ण राष्ट है। आप किस प्रकार राष्ट्र के उत्तरप्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए। 

उत्तर: (क) जार्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर लेखक ने समाज एवं देश की बदहाल स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया गया है। इस पाठ में दर्शाया गया है कि अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोगों की औपनिवेशक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है। जार्ज पंचम की नाक अर्थात् सम्मान एक साधारण भारतीय की नाक से भी छोटी (कम) है, फिर भी सरकारी अधिकारी उनकी नाक बचाने के लिए जी जान से लगे रहे। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जार्ज पंचम की नाक लगा दी गई। केवल दिखावे के लिए या दूसरों को खुश करने के लिए अपनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर प्रहार दर्शाती है। इसमें सत्ता से जुड़े लोगों की मानसिकता पर व्यंग्य है। 

अथवा 

उत्तर: जिस प्रकार सिक्किम की युवती के कथन में मैं इंडियन हूँ से स्पष्ट होता है कि वे जाति, धर्म, संप्रदाय से कहीं अधिक राष्ट्र होता है। उसी प्रकार हम भी अपने राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करेंगे। हम आजकल कई पर्यटन स्थलों में लोग आधुनिकता के रंग में रंगी हुई, प्रकृति को जाने-अनजाने नष्ट कर रहे हैं। वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर रहे हैं। इसे रोकना होगा नहीं तो हम प्रकृति के सौंदर्य से वंचित रहेंगे। हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जन-जन में स्वच्छता का संदेश देना होगा। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने, पेड़ों को न काटने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों एव उपकरणों के कम से कम प्रयोग आदि के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेंगे। 

 

खण्ड ‘घ’ 

प्रश्न 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) कमरतोड़ महँगाई 

  • महँगाई के कारण 
  • समाज पर प्रभाव 
  • व्यावहारिक समाधान 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

  • विकास में स्वच्छता का योगदान 
  • अस्वच्छता से हानिया 
  • रोकने के उपाय 

(ग) बदलती जीवन शैल 

  • जीवन शैली का आशय 
  • बदलाव कैसा 
  • परिणाम 

उत्तर: निबंध 

कमरतोड़ महँगाई महँगाई का अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। इस महँगाई पर ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है। मॅहगाई मनुष्य के जीवन शैली को प्रभावित करती है। आप समाज की यह प्रमुख समस्या है जिसने उच्च, मध्यम व निम्न सभी वर्गों की कमर तोड़ रखी 

महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है। पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी यारी हो जाते हैं। काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे मँहगाई बढ़ती है। 

हमारे देश के अमीर लोग इस मॅहगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापरी अपनी मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी मँहगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। 

यदि सरकार मुद्रास्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी। सरकार को अधिक पैमाने पर गांवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए। 

हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जाएगा मॅहगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित राष्ट्र नीति जरूरी है। मॅहगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे आवश्यकता हो । दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से महँगाई पर काबू रखा जा सकता है। 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छता आज केवल घर या मुहल्ले तक नहीं बल्कि इसका दायरा काफी बड़ा बन गया है। देश और राष्ट्र की स्वच्छता से ही वास्तविक विकास हो सकता है। जिस देश का नागरिक स्वच्छता के प्रति सजग होगा उस देश का विकास अबाध गति से होगा। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश की स्वच्छता में अपना सहयोग दें। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसमें यह प्रण लिया गया है कि प्रत्येक गली, मुहल्ला, सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और बुनियादी ढांचे को बदलना एवं स्वच्छता का संदेश फैलाना। 

अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की हनियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे कुछ अंशों में युक्त। का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश से वातावरण में कोई रोग-बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गांवों में लोग खुले में शौच जाते थे पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे। 

हमारे पूज्यनीय गांधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों वे सरकारी कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गांधी जी के सपने को साकार कर पाएंगे। 

इसलिए हमें ‘स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चद कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाएं। 

(ग) बदलती जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवन शैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती बल्कि कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं दृढ़ संकल्प की कमी और अन्य कारणों द्वारा इसका पालन नहीं कर पाते स्वस्थ रहने के लिए किस प्रकार की शैली अपनाना है यह जानना ज्यादा जरूरी हैं। 

आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है। और इन सभी आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के क्या मायने हैं। हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली में सुधारा जा सकता है यदि हम प्रातः भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो हम निरोग रहेंगे। 

 

प्रश्न 13.  गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं। इससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। 

अथवा

प्रश्न 13. आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।

उत्तर:

परीक्षा भवन,

क, ख, ग

नई दिल्ली। 1100XX

सेवा में,

          थानाध्यक्ष,

          च, छ, ज

          नई दिल्ली।

विषय- बढ़ते अपराधों की शिकायत हेतु थानाध्यक्ष को पत्र।

महोदय,

  सविनय नम्र निवेदन इस प्रकार है कि हमारे क्षेत्र में कुछ दिनों से अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, छेड़छाड़ और चेन झपटमारी की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। लड़कियों का घर से बाहर निकलना दूभर हो रहा है। चोरी डकैती की घटनाएँ भी दिन प्रतिदिन बढ़ने के कारण हमारे क्षेत्र के निवासी अत्यंत परेशान हैं। 

अतः आपसे आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी जाए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ उचित कदम उठाएँ जिससे कि सभी क्षेत्र के निवासी सुरक्षित जीवन जी सकें। यदि आपने हमारी समस्या की ओर ध्यान दिया तो हम सभी क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।

सधन्यवाद! 

भवदीय,

प, फ, ब.

दिनांक-22.03.20XX

अथवा

उत्तर:

परीक्षा भवन,

क, ख, ग

नई दिल्ली।

1100XX

दिनांक 22.03.20XX

प्रिय मित्र,

मधुर स्मृति। मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामनाएँ ईश्वर से करता हूँ। पत्र लिखने का कारण यह है कि मैं तुम्हारे प्रति अपनी असीम कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूँ। मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि तुमने मुझे शिमला आने का आमंत्रण दिया और मैं वहां पहुँच भी गया। जिस प्रकार तुमने मुझे शिमला की सैर कराई और मैंने प्राकृतिक सौंदर्य क आनंद लिया उस आनंद को मैं कभी भूल नहीं सकता। पर्वतीय सौंदर्य में एक अजीब सी शांति और सुख है। काश मैं भी तुम्हारे साथ हमेशा उस स्वर्गिक सौंदर्य का आनंद ले पाता।

मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ कि तुमने मुझे शिमला के दर्शनीय स्थलों की सैर कराई तथा पहाड़ों की खूबसूरती के नजारे दिखाए। अगले वर्ष ग्रीष्मावकाश में मैं फिर से पर्वतीय सौंदर्य का आनंद लेना चाहूँगा। घर में अपने माता पिताजी को मेरा प्रणाम देना और छोटी बहन को स्नेह।

 तुम्हारा अभिन्न मित्र।

 त थ द

 

प्रश्न 14. अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

अथवा 

प्रश्न 14. बॉल पेनों की एक कंपनी सफल’ नाम से बाजार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

उत्तर: दान एक पुण्य 

आइए पुण्य कमाइए 

रोटरी क्लब की ओर से केरल के बाढ़पीड़ितों के लिए सहायता आपकी सहायता किसी की जिंदगी को सुरक्षित कर सकती है। तो देर किस बात की गाँधी मैदान में आकर अपना सहयोग दें. 

(सहयोग राशि कुछ भी हो सकती है) शिविर 7,8,9 अप्रैल 2019 तक ही। 

अन्य जानकारी हेतु संपर्क करें 8979645321, 011-254639 

रोटरी क्लब ऑफिस गाँधी मैदान, 

जनकपुरी नई दिल्ली। 

अथवा

 

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