हिन्दी
HINDI (पाठ्यक्रम अ)
(Course A)
सामान्य निर्देश :
(i) इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं – क, ख, ग और घ ।
(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड ‘क’
Q. 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
महात्मा गांधी ने कोई 12 साल पहले कहा था –
मैं बुराई करने वालों को सजा देने का उपाय ढ़ूँढ़ने लगूं तो मेरा काम होगा उनसे प्यार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर ले आना । इसलिए असहयोग या सत्याग्रह घृणा का गीत नहीं है । असहयोग का मतलब बुराई करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई से असहयोग करना है ।
आपके असहयोग का उद्देश्य बुराई को बढ़ावा देना नहीं है । अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई अपने लिए आवश्यक पोषण के अभाव में अपने-आप मर जाए । अगर हम यह देखने की कोशिश करें कि आज समाज में जो बुराई है, उसके लिए खुद हम कितने ज़िम्मेदार हैं तो हम देखेंगे कि समाज से बुराई कितनी जल्दी दूर हो जाती है । लेकिन हम प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर इसे सहन करते हैं । मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पिता अपने गलत रास्ते पर चल रहे पुत्र पर मोहांध होकर बरसाता चला जाता है, उसकी पीठ थपथपाता है ; और न मैं उस पुत्र की बात कर रहा हूँ जो झूठी पितृ भक्ति के कारण अपने पिता के दोषों को सहन करता है । मैं उस प्रेम की चर्चा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूँ, जो विवेकयुक्त है और जो बुद्धियुक्त है और जो एक भी गलती की ओर से आँख बंद नहीं करता । यह सुधारने वाला प्रेम है ।
(क) गांधीजी बुराई करने वालों को किस प्रकार सुधारना चाहते हैं ?
(ख) बुराई को कैसे समाप्त किया जा सकता है ?
(ग) ‘प्रेम’ के बारे में गाँधीजी के विचार स्पष्ट कीजिए।
(घ) असहयोग से क्या तात्पर्य है ?
(ङ) उपयुक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
Q. 2. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
तुम्हारी निश्चल आँखें
तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता है
ज़रूर दिखाई देती होंगी नसीहतें
नुकीले पत्थरों-सी
दुनिया भर के पिताओं की लंबी कतार में
पता नहीं कौन-सा कितना करोड़वाँ नंबर है मेरा
पर बच्चों के फूलोंवाले बगीचे की दुनिया में
तुम अव्वल हो पहली कतार में मेरे लिए
मुझे माफ़ करना मैं अपनी मूर्खता और प्रेम में समझता था |
मेरी छाया के तले ही सुरक्षित रंग-बिरंगी दुनिया होगी तुम्हारी
अब जब तुम सचमुच की दुनिया में निकल गई हो
मैं खुश हूँ सोचकर कि मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई ।
(क) बच्चे माता-पिता की उदासी में उजाला भर देते हैं – यह भाव किन पंक्तियों में आया है ?
(ख) प्राय: बच्चों को पिता की सीख कैसी लगती है ?
(ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ क्यों होता है ?
(घ) कवि ने किस बात को अपनी मूर्खता माना है और क्यों ?
(ङ) भाव स्पष्ट कीजिए : ‘प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता।’
खंड ‘ख’
Q. 3. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए ।
(क) बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(ख) मॉरीशस की स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया । (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
Q. 4. निर्देशानुसार वाक्य बदलिए।
(क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों ने नोटिस थमा दिया। (कर्मवाच्य में)
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद किया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) खबर सुनकर वह चल भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा। (कर्तृवाच्य में)
Q. 5. गहरे पदों का पद-परिचय लिखिए ।
अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया।
Q. 6. (क) ‘रति’ किस रस का स्थायी भाव है ?
(ख) ‘करुण’ रस का स्थायी भाव क्या है ?
(ग) ‘हास्य’ रस का एक उदाहरण लिखिए ।
(घ) निम्नलिखित पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिए :
मैं सत्य कहता हूँ सखे ! सुकुमार मत जानो मुझे,
यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे।
खंड ‘ग’
Q. 7. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए । महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है; वरना तो देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।
दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुज़रे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया । ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है।
(क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों ?
(ख) ‘देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।’ – इस पंक्ति में देश और लोगों की किन स्थितियों की ओर संकेत किया गया है ?
(ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब को उसमें क्या परिवर्तन दिखाई दिया ?
Q. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
(क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में किन सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है ?
(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी शिक्षा प्रणाली में संशोधन की बात क्यों करते हैं ?
(ग) ‘काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्लाखाँ एक-दूसरे के पूरक हैं’ – कथन का क्या आशय
(घ) वर्तमान समाज को संस्कृत’ कहा जा सकता है या ‘सभ्य’ ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
Q. 9. निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी ।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी ।
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी ।
यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी ।
(क) ‘हारिल की लकरी’ किसे कहा गया है और क्यों ?
(ख) ‘तिनहिं ले सौंपौ’ में किसकी ओर क्या संकेत किया गया है ?
(ग) गोपियों को योग कैसा लगता है ? क्यों ?
Q. 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
(क) जयशंकर प्रसाद के जीवन के कौन से अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं ?
(ख) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है ? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए।
(घ) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है ?
Q. 11. “आज आपकी रिपोर्ट छाप दूं तो कल ही अखबार बंद हो जाए” – स्वतंत्रता संग्राम के दौर में समाचार पत्रों के इस रवैये पर ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’ के आधार पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में चर्चा कीजिए।
अथवा
Q. 11.’मैं क्यों लिखता हूँ’, पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञान के दुरुपयोग से किन मानवीय मूल्यों की क्षति होती है ? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ?
खंड ‘घ’
Q. 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए :
(क) महानगरीय जीवन
- विकास की अंधी दौड़
- संबंधों का ह्रास
- दिखावा
(ख) पर्वो का बदलता स्वरूप
- तात्पर्य
- परंपरागत तरीके
- बाजार का बढ़ता प्रभाव
(ग) बीता समय फिर लौटता नहीं
- समय का महत्त्व
- समय नियोजन
- समय गँवाने की हानियाँ
Q. 13. आपके क्षेत्र के पार्क को कूड़ेदान बना दिया गया था । अब पुलिस की पहल और मदद से पुन: बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है । अत: आप पुलिस आयुक्त को धन्यवाद पत्र लिखिए ।
अथवा
Q. 13.पटाखों से होने वाले प्रदूषण के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए ।
Q. 14. पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
Q. 14.विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी के प्रचार हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन लिखिए ।
Answer Sheet
खंड- ‘क’
उत्तर 1. वाद्यांश
(क) गाँधीजी बुराई करने वालों को प्यार करना चाहते थे तथा धैर्य और नम्रता के साथ समझाकर उन्हें सही रास्ते पर लाना चाहते थे।
(ख) अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई के लिए आवश्यक पोषण अभाव में अपने – आप मर जायगे और बुराई समाप्त हो जाएगी।
(ग) गाँधीजी कहते है कि प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर हम बुराई सहन करते हैं। वह उस प्रेम की बात नहीं कर रहे जिसे पिता गलत रास्ते पर चल रहे अपने पुत्र की पीठ थपथपाता है। वह उस प्रेम की बात कर रहे हैं जो विवेकयुक्त हैं, बुद्धियुक्त है और एक गलती की ओर से भी आँख बंद नहीं करता। यह सुधारने वाला प्रेम है।
(घ) असहयोग का मतलब बुराई करने वालों से नहीं, बल्कि बुराई का असहयोग करना है।
(ड) उपर्युक्त साधांश का शीर्षक होना चाहिए ‘गाँधीजी के विचार’।
उत्तर 2. पधांश
(क) बच्चे का माता-पिता को उदासी में उजाला भर देने का भाव निम्नलिखित पंक्ति में आया है: तुम्हारी निश्चल आँखें
तारों-सी चमकती है. मेरे अकेलेपन को रात के आकाश में।
(ख) बच्चों को माता-पिता को सीख नुकीले पत्थरों जैसा लगता है।
(ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ इसलिए होता है क्योंकि वह दुनियाभर में पिताओं की लंबी कतार और उन्हें अपना संतान करोड़ों नंबर के बाद मिलती है और बच्चों की दुनिया में अपने बच्चे का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है।
(घ) कवि को ऐसा प्रतीत होता था कि उसके सानिध्य तथा उसका छत्रछाया में हो उसके बच्चे का जीवन और उसकी रंग-बिरंगी दुनिया सुरक्षित है इस बात को कवि ने अपनी सूखेता बताया है।
(ड) इस पंक्ति का यह अर्थ है कि पिता अपने बच्चे के गमले के लिए कभी – कभी उसको नसीहतें न देते हैं या डॉट भी देते परंतु बच्चों को पिता की इस डाँट में उनका प्रेम नहीं दिखाई देता है।
खंड-‘ख’
उत्तर 3. (क)आश्रित उपवाक्य- अब बुढ़ापा आ गया
भेद – संज्ञा आश्रित उपवाक्य
(ख) जब मैंने मॉरीशस की स्वच्छता देखो तब मेरा मन प्रसन्न हो जाया –
(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे।
उत्तर 4. (क) मई महीने में कॉलेज वालों के द्वारा शीला अग्रवाल को नोटिस थमा दिया गया था
(ख) देशभक्तों की शहादत आज भी याद की जाती है।
(ग) खबर सुनने के कारण उससे चला भी नहीं जा रहा था।
(घ) पहले-पहल आग का आविष्कार करने वाला आदमी कितना बड़ा आविष्कतो होगा ।
उत्तर 5. पद- परिचय
गाँव की – जातिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, एकवचन,
मिट्टी – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन
मैं– उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक
तरस गया – अकर्मक क्रिया, भूत काल
उत्तर 6. (क) शृंगार रस
(ख) शोक
(ग) ‘हास्य रस – ‘सरकंडे से हाँथ पाँव मटके जैसो पेट पास पिचके – पिचके गाल दोऊ, मुँह तो देखो। इंडिया गेट।
(घ) वीर रस
खंड-ग
उत्तर 7.जब हालदार साहब चौराहे पर रूकते तो वहाँ लगी नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी की मूर्ति को देखा करते थे। मूर्ति तो संगमरमर की थी परन्तु उस पर चश्मा असली लगा था। उन्हे लगा कि शायद मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया और वहाँ के नागरिकों ने असली चश्मा लगा दिया। हालदार साहब को यही प्रयास सराहनीय लगा।
(ख) इस पंक्ति में यह बताया गया है कि आजकल लोगों के मन देशभक्तों के लिए सममन की भावना नहीं रही। आजकल लोग देशभक्ति को भूलते जा रहे है, वे देशभक्ति को पागलपन करते है और देशभक्ति महत्वपूर्ण नहीं है केवल अपना स्वार्थ महत्वपूर्ण है।
(ग) दूसरी बार देखने पर लेखक को मूर्ति की आँखों पर नया चश्मा लगा हुआ मिला।
उत्तर 8. (क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधु से अपने बेटे को मुखग्नि दिलाई जबकि स्त्रियों को अंतिम संस्कार करने की आज्ञा नहीं दी जाती है। भगत ने उसके पश्चात् अपनी पुत्रवधु का पुनर्विवाह करने का निश्चय किया जबकि समाज में विधवा स्त्री के पुनर्विवाह का प्रचलन नहीं है।
(ख) स्त्री शिक्षा विरोधियों ने जब प्राचीन काल में स्त्रियों के लिए कोई शिक्षा प्रणाली न बताकर स्त्रियों को शिक्षित करने में लिए रोक तब महावीर जी ने कहा कि अतीत में स्त्रियों की कोई शिक्षा प्रणाली नहीं तो क्या हुआ आज के युग में स्त्रियों को शिक्षा की आवश्यकता है और शिक्षा प्रणाली में संशोधन के बाद स्त्री और पुरूष दोनों ही शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
(ग) इस कथन का यह आशय है कि काशी के बाबा विश्वनाथ और विस्मिल्लाखाँ एक दूसरे के बिना अधूरे है क्योंकि बिस्मिल्लाखाँ के दिन की शुरूआत बाबा विश्वनाथ मंदिर की ड्योढी पर शहनाई बनाने से होती थी यदि वे काशी से बाहर होते थे तो वे अपनी शहनाई का प्याला विश्वनाथ मंदिर की ओर करके बजाते थे और सफलता और ऊँचाई प्राप्त करने के बाद भी वे काशी और विश्वनाथ मंदिर को छोडकर नहीं गए।
(द्य) वर्तमान समाज को ‘सभ्य’ कहा जा सकता है क्योंकि हमारे समाज में जो भी उन्नति हो रही है वह सब हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए आविष्कार, अनुसंधान के कारण ही है। प्राचीन काल में आग की खोज हुई, सुई-धागे का आविष्कार हुआ, गुरूत्वाकर्षण के नियमों से हमें अवगत कराया गया इत्यादि इन सब आविष्कार और खोज के कारण ही हम नई नई चीजें बना पाए और लगातार उन्नति की ओर अग्रसर है अतः हम अपने पूर्वजों से सभ्य है पर उनसे ज्रूादा संस्कृत नहीं।
उत्तर 9. (क) ‘हारिल की लकरी’ भगवान श्री कृष्ण को कहा गया है जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पैरों में लकड़ी दबाए रहता है उसी प्रकार गोपियों ने भी श्री कृष्ण को अपने मन में बसा रखा है।
(ख) ‘तिनहीं लै सौपौ’ में उनकी ओर संकेत किया गया है जिनके मन चकरी के समान चंचल है व अस्थिर है।
(ग) गोपियों को योग कडवी ककडी के समान लग रहा है जिसके बारे में उन्होने न तो पहले कभी सुना और न ही देखा।
उत्तर 10. (क) कवि जयशंकर प्रसाद ऐसा मानते है कि उन्होने अपने जीवन में कुछ महान कार्य नहीं किया है जिसके बारे में पढ़कर लोग उससे प्रेरणा लेंगे, वह अपने जीवन में हुए छलकपटतापूर्ण व्यवहार के बारे में बतानी नहीं चाहते है और उन्हे ऐसा लगता है कि उनके खाली जीवन के बारे में पढ़कर लोग शायद उनकी हँसी उड़ाए अतः वे आत्मकथा नहीं लिखना चाहते है।
(ख) गर्मी और ऊष्मा से परेशान लोग बादलों का इंतजार कर रहे है। बादलों की गर्जना से लोगों के मान में बारिश के लिए उत्साह भर जाएगा और गर्जना में सृष्टि के नवनिर्माण की शक्ति होती है और गर्जना के पश्चात् वे बारिश करके सबको शीतलता प्रदान करते है।
(ग) ‘कन्यादान’ कविता में स्त्री को ससुराल पक्ष द्वारा दहेज के लालच में आग से जला देने के बात की गई है और पुरूष प्रधान समाज द्वारा स्त्री को वस्त्र आभूषणों के बंधन में बाँध कर उसकी सरलता और कोमलता का फायदा उठाकर उस पर अत्याचार किया जाता है।
(द्य) संगत कार जानबूढ कर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से धीमा रखता है क्योंकि वह चाहता है कि श्रोतागणों के बीच मुख्य गाय के संगीत उसके गायन का सिक्का जमा रहे उसका स्वयं पृष्ठभूमि में रहना और मुख्य गायक को मुख्य कलाकार बने रहने देना उसकी मनुष्यता का परिचायक है विफलता का नहीं।
उत्तर 11. (ख) ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में विज्ञान के दुरुपयोग का वर्णन किया गया है। इस पाठ में यह बताया गया है कि किस प्रकार अणु बम, परमाणु हथियार का आविष्कार मानव जाति के समूल नाश का कारण बन सकता है। अस्पताल में लेखक द्वारा देखे गए परमाणु हथियारों के प्रकोप का कष्ट झेलते मरीज़ों का दृश्य हमारी आत्मा को झकझोर देता है और जले हुए पत्थर पर मनुष्य के शरीर की उजली छाया हमारे शान व हमारी मानवता पर करारा प्रहार करता है। मनुष्य परोपकार मूल कर स्वार्थ को अपनाता है यदि यह सब विज्ञान के और मानवीय बुद्धि का परिणाम है तो ऐसी बुद्धिमता का क्या लाभ जो मनुष्य से मनुष्य को मारना सिखाए। इस विषय पर हमें गहन विचार करने की आवश्यकता है हमें सभी व्यक्तियों को सुशिक्षा देनी चाहिए और लोगों को प्रेम , सद्भावना व मानवता का पाठ पढ़ाना चाहिए। हमें बच्चों को बचपन से ही अच्छी बात बतानी चाहिए तथा हम इस संसार में फेल रही अहिंसा को दूर कर पाएँगे और सदभावना का पाठ पूरे संसार को पढ़ा पाएंगे।
खंड-‘घ’
उत्तर 12. निबंध लेखन –
(क) महानगरीय जीवन
विकास की अंधी दौड़ – आज प्रत्येक व्यक्ति महानगर में बसना चाहता है और इसका मुख्यत: कारण विकास की कामना लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि महानगरों में ही उन्हें सभी सुविधाएँ प्राप्त होगी उनका जीवन सुधर जाएगा और इसी धारणा के चलते आज के वर्तमान युग में महानगरों में रहने तथा महानगरों को बसाने की होड़ गई है और इसी विकास को अंधी दौड़ के कुछ दुष्परिणाम भी है जैसे पर्यावरण की हानि। यदि विकास के चलते हम अपने ही पर्यावरण अपनी ही धरती को नुकसान पहुंचाएंगे तो ऐसे विकास का क्या लाभ। माना कि विकास हमारे देश की उन्नति के लिए अति आवश्यक है परंतु इस विकास के लिए अपने देश का पर्यावरण को क्षति पहुँचना कितना तर्कसंगत है।
संबंधों का हास – महानगरीय जीवन भगा – दौड़ी का जीवन है और इस भगा -दौड़ी के चलते हमें सिर्फ पैसा कमाने से मतलब और सभी प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त करना, ही हमारे जीवन का लक्ष्य बनकर रह जाता है। इस व्यस्त जीवनशैली के चलते हम अपने पारिवारिक संबंधों पर ध्यान नहीं दे पाते और हमारे पारिवारिक संबंधों में लगा गर्मजोशी न होने के कारण रिश्ते फीके से पड़ने लगते है। महानगरों में रह रहा व्यक्ति अपने आस- पड़ोस से भी ज्यादा धूलता मिलता नहीं है रिश्तों को कायम रखने के लिए मेल-मिलाप , बातचीत अति आवश्यक है परंतु काम कि बोझ के चलते लोगों को एक दूसरे के साथ उठने बैठने घुलने तथा मिलने का समय भी नहीं मिल पाता है।
दिखावा – ग्रामीण जीवनशैली के बजाय शहरों जीवनशैली में दिखावा प्रवृत्ति अधिक है महानगर में रह रहे व्यक्तियों को हमेशा एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी रहती है यदि एक व्यक्ति आर्थिक रूप से उतना सक्षम नहीं है कि वह चार पहिया वाहन खरीद सके फिर भी वह दूसरों की देखादेखी में वह अपनी आर्थिक स्थिति नहीं देखता परंतु अपने शौकों को पूरा करने की इच्छा करने लगता है जो उसके लिए हानिकारक होती है। ग्रामीण जीवन में सरलता होती है सबका, सिद्धांत – ‘सादा, जीवन उच्च विचार होता है परंतु शहरों के जीवन में एक बनावटीपन होता है और मनुष्य अपने सुखों को प्राप्त करने के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देता है और दुसरो की बराबरी करने के चलते वह अपने जीवन को ठीक से जीना भूल जाता है और जीवन के मुख्य लक्ष्य- ‘जो कि उसे खुशकर होकर जीना है। उसे कभी प्राप्त नहीं कर पाता है।
उत्तर 13. औपचारिक पत्र
सेवा में,
पुलिस अधीक्षक आयुक्त
पुलिस चौकी
क ख ग नगर
विषय:- आपकी सहायता से पार्क की स्वच्छ करवाने हेतु धन्यवाद पत्र।
मान्यवर
मैं आपके क्षेत्र का नागरिक हूँ और मैंने अपने क्षेत्र के खेल के मैदान को समस्या के बारे में आपकी पुलिस चौकी में आकर बताया था कि लोगों ने कूड़ा और सारी गंदगी पार्क में फेंककर उसे उसकी सुंदरता को नष्ट कर दिया और अब बच्चों के खेलने के लिए भी कोई स्थान नहीं बचा । आपके द्वारा मेजी गई पुलिस फोर्स ने पार्क की सफाई का कार्य शुरु करवाया और लोगों को कड़े आदेश दिए कि वे पार्क में गंदगी न फैलाएँ।
आपने और सभी पुलिस बल ने हमारी बहुत सहायता की और पार्क को बच्चों के खेलने का स्थान दोबारा से बनाने के लिए आप सबकी बहुत धन्यवाद।
भवदीय
एक जागरुक नागरिक
अ.ब.स
दिनांक- 09-07-2019
उत्तर 14. विज्ञापन
हमारा पर्यावरण हमारी ज़िम्मेदारी है यदि हम पेड़ो को काटेगे, कूचरा इधर- उधर फेकेंगे कूड़ेदान में नहीं डालेंगे तो हमारे देश की स्वच्छता बरकरार नहीं रहेगी । हम एक सब तो आइए प्रण लें कि आज से हम कभी भी अपने पर्यावरण को नुकसान नही पहुँचाएँगे और, खाली पड़ी ज़मीन पर पौधे लगाएंगे और अपने घर, आस-पड़ोस के आसपास की जगह साफ रखेंगे और देश को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देंगे।