हिन्दी
(Second Language)
भाग -A
प्रश्न.1 निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 250 शब्दों में संक्षिप्त लेख लिखिए –
(i) आपके विद्यालय में एक मेले का आयोजन किया गया था। यह किस अवसर पर, किस उद्देश्य से किया गया था ? उसके लिए आपने क्या-क्या तैयारियाँ कीं ? आपने और आपके मित्रों ने एवम शिक्षकों ने उसमें क्या सहयोग दिया था ? इन बिन्दुओं को आधार बनाकर एक प्रस्ताव विस्तार से लिखिए।
(ii) यात्रा एक उत्तम रुचि है। यात्रा करने से ज्ञान तो बढ़ता ही है, स्थान विशेष की संस्-ति तथा परंपराओं का परिचय भी मिलता है। अपनी किसी यात्रा के अनुभव तथा रोमांच का वर्णन करते हुए एक प्रस्ताव लिखिए।
(iii) ‘वन है तो भविष्य है’ आज हम उसी भविष्य को नष्ट कर रहे हैं, कैसे ? कथन को स्पष्ट करते हुए जीवन में वनों के महत्व पर अपने विचार लिखिए।
(iv) एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका अन्त प्रस्तुत वाक्य से किया गया हो – और मैंने राहत की साँस लेते हुए सोचा कि आज मेरा मानव जीवन सफल हो गया।
(v) नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर उसका परिचय देते हुए कोई लेख, घटना अथवा कहानी लिखिये, जिसका सीधा व स्पष्ट सम्बन्ध, चित्र से होना चाहिये।
उत्तर :
(i) मेरे विद्यालय में मेले का आयोजन
आज का युग विज्ञापन व प्रदर्शन का युग है। इस भौतिकवादी युग में नगरों तथा ग्रामों में तरह-तरह के मेलों का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे ही आयोजन विद्यालयों व महाविद्यालयों में किए जा रहे हैं। ऐसी ही कई प्रदर्शनियाँ हमारे नगर में भी लगती रहती हैं जिनका संबंध पुस्तकों, विज्ञान के उपकरणों, वस्त्रों आदि से होता है। मैं गत रविवार अपने विद्यालय में आयोजित ऐसे ही एक भव्य मेले में गया। मुझे बताया गया था कि वह प्रदर्शनी जैसे स्वरूप का मेला अब तक की सबसे बड़ी प्रदर्शनी है जिसमें देशविदेश की कई बड़ी-बड़ी कंपनियाँ और निर्माता अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं।
इसी बात को ध्यान में रखकर मैं अपने पिताजी के साथ उस ‘एपेक्स ट्रेड फेयर’ नामक त्रि-दिवसीय मेले में चला गया।। मेला सचमुच विशाल एवं भव्य था। विद्यालय के सभागार के अतिरिक्त बाहर के पंडालों में भी शामियाने के नीचे स्टाल लगे हुए थे। हम पहले हॉल में गए। वहाँ सबसे पहले मोबाइल कंपनियों के स्टाल थे। नोकिया, सैमसंग, एयरटेल, वोडाफ़ोन, पिंग, रिलायंस आदि मुख्य कंपनियाँ थीं। सभी ने छूट और पैकेज की सूचनाएं लगा रखी थीं। सेल्समैन आगंतुकों को लुभाने के लिए अपनी-अपनी बातें रख रहे थे।
आगे बढ़े तो इलेक्ट्रॉनिक का सामान दिखाई दिया जिसमें मुख्यतः माइक्रोवेव, एल.सी.डी., डी.वी.डी., कार स्टीरियो, कार टी.वी., ब्लैंडर, मिक्सर, ग्राईंडर, जूसर, वैक्यूम क्लीनर, इलैक्ट्रिक चिमनी, हेयर कटर, हेयर ड्रायर, गीजर, हीटर, कन्वैक्टर, एयर कंडीशनर आदि अनेकानेक उत्पादों से जुड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि अपना-अपना उत्पाद गर्व सहित प्रदर्शित कर रहे थे।
इन मेलों का मुख्य लाभ यही है कि हम इनमें प्रदर्शन (फ्री डैमो) की क्रिया भी देख सकते हैं कि कौन-सा उत्पाद कैसे संचालित होगा और उसका परिणाम क्या सामने आएगा। अगले स्टालों पर गृह-सज्जा का सामान प्रदर्शित किया गया था। उसमें पर्दो, कालीनों और फानूसों की अधिकता थी। हॉल से बाहर आए तो हमें सबसे पहले खाद्य-पदार्थों और पेय-पदार्थों के स्टॉल दिखाई दिए। इनमें नमकीन, भुजिया, बिस्कुट, चॉकलेट, पापड़ी, अचार, चटनी, जैम, कैंडी, स्क्वैश, रस, मुरब्बे, सवैया आदि से जुड़े तरह-तरह के ब्रांड प्रदर्शित किए गए थे। चखने के लिए कटोरों में नमकीन रखे गए थे। पेय-पदार्थों को भी चख कर देखा जा रहा था।
मेले के अगले चरण में वस्त्रों को दिखाया जा रहा था। इन स्टालों पर पुरुषों और स्त्रियों के वस्त्र प्रदर्शित किए गए थे। पोशाकों पर उनके नियत दाम भी लिखे गए थे। साड़ियों की तो भरमार थी। उसके आगे आभूषणों और साज-सज्जा (मेकअप) के सामान प्रदर्शित किए थे। इन उत्पादों में महिलाओं की अधिक रुचि होती है। यही कारण था कि इस कोने में स्त्रियां ही स्त्रियाँ दिखाई दे रही थीं।
इसके साथ ही हस्तशिल्प, हथकरघा और कुटीर उद्योगों द्वारा बना सामान दिखाया जा रहा था। हाथ के बने खिलौनों की खूब बिक्री हो रही थी। कुछ लोग हाथ से बुने थैले, स्वैटर और मैट खरीद रहे थे। सबके बाद मूर्तियों तथा तैल चित्रों को दिखाने का प्रबंध था। यह विलासिता का कोना था क्योंकि उनमें से कोई भी वस्तु पांच हजार रुपयों से कम मूल्य की नहीं थी। वहाँ इक्का-दुक्का लोग थे।
इस प्रकार हमने मेले में जाकर न केवल उत्पादों के दर्शन किए परंतु उनके उपयोग की विधियों की भी जानकारी ली। खरीद के नाम पर हमने दो लखनवी कुर्ते, एक थैला, दो प्रकार के आचार तथा एक छोटा-सा लकड़ी का खिलौना खरीदा। सचमुच इस प्रकार के मेले आज के विज्ञापन तथा प्रतिस्पर्धा के युग में विशेष महत्व रखते हैं। मेले के साथ-साथ हमारे विद्यालय का नाम भी सुर्खियों में आ गया।
प्रश्न.2 निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए –
(i) आप अपने परिवार के साथ किसी एक प्रदर्शनी (Exhibition) को देखने गए थे। वहाँ पर आपने क्या-क्या देखा ? वहाँ कौन-कौन सी चीजों ने आकर्षित किया ? जीवन में उनकी क्या उपयोगिता है ? अपना अनुभव बताते हुए अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखिये।
(ii) दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए जल संकट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए नगर-पालिका के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए जिसमें वर्षा के जल का संचयन (rain water harvesting)करने के लिए व्यापक स्तर पर परियोजना चलाने का सुझाव दिया गया हो।
उत्तर :
(i) परीक्षा भवन,
——– नगर।
दिनांक : 18.9.20…….
प्रिय मित्र सुमंत,
सप्रेम नमस्कार। आशा है तुम स्वस्थ एवं सानंद होंगे। आज मैं तुम्हें अपना ऐसा अनुभव बताने जा रहा हूँ जिसे मैंने अपने परिवार के साथ एक प्रदर्शनी में जाकर प्राप्त किया। मित्र! गत सप्ताह हमारे नगर में हस्तशिल्प की एक भव्य प्रदर्शनी आयोजित की गई। प्रदर्शनी पूरे सप्ताह चलने वाली थी, परंतु हम दूसरे ही दिन प्रदर्शनी देखने चले गए क्योंकि मुझे हस्तशिल्प के प्रति विशेष उत्साह था। मैं प्रदर्शनी में लोगों की कारीगरी देखकर दंग रह गया।
मैंने प्राचीन हस्तकला के ऐसे नमूने कभी नहीं देखे थे। सबसे बड़ा विस्मय इस बात पर हुआ कि ग्रामीण लोगों ने कूड़ा समझी जाने वाली तुच्छ वस्तुओं से सुंदर कालीन, पायदान, चित्र, पत्रिका-स्टैंड, फ्रेम, मेजपोश, टोकरियाँ, आसन-न जाने कितनी आकर्षक वस्तुएँ बना डाली थीं। शहतूत और बाँस की टहनियों से बनी वस्तुओं का तो रूप ही निराला था। वस्त्रों में रेशम, पशमीना व सूती कपड़ों पर भव्य कारीगरी दिखाई गई थी। हमने भी कुछ वस्त्र खरीदे और शाम होने पर घर आए। ऐसी ही प्रदर्शनी कभी फिर लगी, तो तुम्हें अवश्य सूचित करूँगा। तुम्हें बहुत आनंद आएगा।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क.ख. ग.
(ii) सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
नगरपालिका,
——- नगर।
विषय : नगर में बढ़ रहा जल संकट।
मान्य महोदय,
मैं इस पत्र द्वारा आपका ध्यान नगर में दिन-प्रतिदिन बढ़ते जल संकट की ओर दिलाना चाहता हूँ। महोदय, हमारे नगर में जल सुविधाएँ नाममात्र हैं। प्रातः जल आपूर्ति पाँच से सात तक रहती है। दुपहर को आपूर्ति बंद रहती है। संध्या समय सात से आठ तक पानी आता है। जिन लोगों के घरों में हैंडपंप लगे हैं, उन्हें भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि जल-स्तर बहुत नीचे चला गया है। मेरी आपसे प्रार्थना है कि नगर में शिविर लगाकर लोगों को वर्षा के जल का संचयन करने की ओर प्रेरित किया जाए।
संभव हो तो ऐसी व्यवस्था करने के लिए अनुदान की भी कुछ-न-कुछ व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे लोगों को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही साथ नगरपालिका के कार्य में भी सहजता आ सकेगी। राजस्थान के लोग वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting) में अत्यंत दक्ष हैं। हमें उनसे प्रेरणा लेकर इस जल संकट का समाधान करना चाहिए।
सधन्यवाद।
भवदीय,
क. ख. ग.
207/40
न्यू शीतल नगर
——– प्रदेश
दिनांक : 20-06-20…….
प्रश्न.3 निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा उसके नीचे लिखे गए प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए। उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए –
एक रियासत थी। उसका नाम था कंचनगढ़। वहाँ बहुत गरीबी थी। लोग कमज़ोर थे और धरती में कुछ उगता न था। चारों और भुखमरी थी। एक दिन राजा कंचनदेव राज्य की दशा से चिंतित हो उठे। अचानक उनके पास एक साधु आए। राजा ने उन्हें प्रणाम किया। राजा ने साधु को अपने राज्य के बारे में बताया और कुछ उपाय करने की प्रार्थना की। साधु मुस्कराकर बोले -‘‘कंचनगढ़ के नीचे सोने की खान है।’’ इतना कहकर साधु चले गए।
राजा ने खुदाई करवाई। वहाँ सोने की खान निकली। राजा का खजाना सोने से भर गया। राजा ने अपने राज्य में जगह-जगह मुफ़्त भोजनालय बनवाए, दवाखाने खुलवाए, चारागाह बनवाए तथा अन्य सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध करा दिए। अब वहाँ कोई दुखी नहीं था। सब लोग खुश थे। धीरे-धीरे लोग आलसी हो गए। कोई काम नहीं करता था। भोजन तक मुफ़्त में मिलने लगा था। मंत्री ने राजा को बहुत समझाया और कहा – ‘‘महाराज, लोग आलसी होते जा रहे हैं। उनको काम दिया जाए।’’ परंतु राजा ने मंत्री की बात को टाल दिया।
कंचनगढ़ की समृद्धि को देखकर पड़ोसी रियासत के राजा को ईर्ष्या हुई। उसने अचानक कंचनगढ़ पर चढ़ाई कर दी और माँग की – ‘‘सोना दो या लड़ो।’’ कंचनगढ़ के आलसी लोगों ने राजा से कहा – ‘‘हमारे पास बहुत सोना है, कुछ दे दें। बेकार खून क्यों बहाया जाए ?’’ राजा ने लोगों की बात मान ली और सोना दे दिया। कुछ दिनों बाद उसी पड़ोसी राजा ने कंचनगढ़ पर फिर चढ़ाई कर दी। इस बार उसका लालच और बढ़ गया था। इसी प्रकार उसने कई बार चढ़ाई कर-करके कंचनगढ़ से सोना ले लिया। यह सब देखकर राजा का मंत्री बहुत परेशान हो गया। वह राजा को समझाना चाहता था, किन्तु राजा के सम्मुख कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी। अंत में उसने युक्ति से काम लिया।
एक दिन मंत्री कंचनदेव को घुमाने के लिए नगर के पूर्व की ओर बने गुलाब के बाग़ की ओर ले गया। राजा कंचनदेव ने देखा कि बाग में दाने बिखरे पड़े हैं। कबूतर दाना चुग रहे हैं। थोड़ी दूर कुछ कबूतर मरे पड़े हैं। कुछ भी समझ में न आने पर राजा ने मरे हुए कबूतरों के बारे में मंत्री से पूछा।
मंत्री ने बताया – ‘‘महाराज, इन्हें शिकारी पक्षियों ने मारा है।’’ राजा ने पूछा – ‘‘तो कबूतर भागते क्यों नहीं’’ ‘‘भागते हैं लेकिन लालच में फिर से आ जाते हैं, क्योंकि उनके लिए यहाँ, आपकी आज्ञा से दाना डाला जाता है।’’ – मंत्री ने बताया। राजा ने कहा – ‘‘दाना डलवाना बंद कर दो।’’ मंत्री ने वैसा ही किया।
राजा अगले दिन फिर घूमने निकले। उन्होंने देखा कि दाना तो नहीं है, किन्तु कबूतर आ-जा रहे हैं। राजा ने मंत्री से इसका कारण पूछा। मंत्री ने बताया – ‘‘महाराज, इन्हें बिना प्रयास के ही दाना मिल रहा था। यह अब दाने-चारे की तलाश की आदत भूल चुके हैं, आलसी हो गए हैं। शिकारी पक्षी इस बात को जानते हैं कि कबूतर तो यहीं आएँगे अतः वे इन्हें आसानी से मार डालते हैं।’’ राजा चिंता में पड़ गए। उन्होंने शाम को मंत्री को बुलाकर कहा – ‘‘नगर के सारे मुफ़्त भोजनालय बंद करवा दो। जो मेहनत करे, वही खाए। लोग निकम्मे और आलसी होते जा रहे हैं। और हाँ, एक बात और। मैं अब शत्रु को सोना नहीं दूँगा, बल्कि उससे लड़ाई करूँगा। जाओ, सेना को मज़बूत करो।’’ मंत्री राजा की बात सुनकर बहुत खुश हो गया।
(i) राजा कंचनदेव की चिन्ता का क्या कारण था ? उन्होंने साधु से क्या प्रार्थना की ?
(ii) साधु ने राजा को क्या बताया ? उसके बाद राजा ने राज्य के लिए क्या-क्या कार्य किये ?
(iii) पड़ोसी राजा के आक्रमण करने पर कंचनगढ़ का राजा क्या करता था और क्यों ?
(iv) कबूतरों की दशा कैसी थी ? उस दशा को देखकर राजा ने क्या सीखा ?
(v) राजा ने मंत्री को क्या आदेश दिए ? आदेश सुनकर मंत्री की क्या स्थिति हुई ?
उत्तर : (i) राजा की चिंता का कारण राज्य की गरीबी, लोगों की कमजोरी व चारों ओर फैली भुखमरी थी। उसने साधु से राज्य के विषय में चर्चा करके कुछ उपाय करने की प्रार्थना की।
(ii) साधु ने राजा को बताया कि उसके राज्य कंचनगढ़ के नीचे सोने की खान है। राजा ने खुदाई करवाकर सोना प्राप्त किया और अपने राज्य में मुफ़्त भोजनालय और दवाखाने खुलवा दिए। चरागाह बनवाए और अन्य सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध करवाए।
(iii) पड़ोसी रियासत के राजा के आक्रमण करने पर राजा सोने का कुछ भाग दे देता था क्योंकि उसकी प्रजा लड़कर खून बहाने के स्थान पर कुछ सोना देने का विचार रखती थी, क्योंकि मुफ्त सुविधाएँ पाकर लोग आलसी हो चुके थे।
(iv) कुछ कबूतर दाना चुग रहे थे और कुछ मरे पड़े थे। राजा के पूछने पर मंत्री ने बताया कि कबूतर भागते नहीं क्योंकि वे दाने के लालची हो गए हैं। राजा की आज्ञा से उन्हें मुफ़्त दाना डाला जाता है। इस दशा को देखकर राजा को कर्म करने का महत्त्व समझ में आ गया और उसने दाना डलवाना बंद कर दिया।
(v) राजा ने मंत्री को आदेश दिए कि आलसी और निकम्मों के लिए स्थापित सारे मुफ़्त भोजनालय बंद कर दिए जाएँ। परिश्रम करने वाला ही खाए। अब शत्रु को सोना नहीं दिया जाएगा। सेना मज़बूत की जाए और लड़ाई करके शत्रु को परास्त किया जाए।
प्रश्न.4 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए:-
(i) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों के विलोम लिखिए:- अपना, देव, नवीन, सम्मानित।
(ii) निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए – इच्छा, आदेश, शिक्षक।
(iii) निम्नलिखित शब्दों में किन्हीं दो शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए – सफेद, युवा, हिंसक, जागना।
(iv) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों के शुद्ध रूप लिखिये – कवित्री, अशीरवाद, -तग्य, विदूशी।
(v) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक की सहायता से वाक्य बनाइए – चंपत होना, डींग हाँकना।
(vi)कोष्ठक में दिए गए वाक्यों में निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए –
(a) प्राचीन काल में लोग पत्तों की बनी कुटिया में रहते थे। (रेखांकित का एक शब्द लिखते हुए वाक्य पुनः लिखिए)
(b) बीमार होने के कारण सुमन समारोह में नहीं आ सकी। (इसलिए’ का प्रयोग कर वाक्य पुनः लिखिए, )
(c) बच्चे आम तोड़ने के लिए वृक्षों पर चढ़ गए थे। (वचन बदलिए)
उत्तर :
(i) पराया, दानव/राक्षस, प्राचीन, अपमानित।
(ii) इच्छा-अभिलाषा, कामना। आदेश-आज्ञा, हुकम, समादेश। शिक्षक-अध्यापक, आचार्य।
(iii) सफ़ेदी, यौवन, हिंसा, जागृति।
(iv) कवयित्री, आशीर्वाद, कृतज्ञ, विदुषी।
(v) चोर भरे बाज़ार में महिला का पर्स छीनकर चंपत हो गया। कर्म करने से सफलता मिलती है, डींग हाँकने से नहीं।
(vi) (a) प्राचीनकाल में लोग पर्णकुटी में रहते थे।
(b) सुमन बीमार थी इसलिए समारोह में नहीं आ सकी।
(c) बच्चा आम तोड़ने के लिए वृक्ष पर चढ़ गया था।
भाग—B
साहित्य सागर-संक्षिप्त कहानियाँ
(Sahitya Sagar–Short Stories)
प्रश्न.5 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
उसके अन्तस्तल में वह शोक जाकर बस गया था। वह प्रायः अकेला बैठा-बैठा शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता। एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा। विश्वेश्वर के पास जाकर बोला, ‘‘काका ! मुझे एक पतंग मँगा दो।’’
(काकी’-सियारामशरण गुप्त) [‘Kaki’—Siyaramsharan Gupt]
(i) ‘उसके’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? उसके दुखी होने का क्या कारण था ? (ii) क्या देखकर उसका हृदय खिल उठा था ? उसने अपने पिता से क्या माँगा ?
(iii) उसने उस चीज का प्रबंध कैसे किया ? क्या उसके इस कार्य को अपराध कहना उचित होगा ? समझाइए।
(iv) विश्वेश्वर ने बालक के साथ कैसा व्यवहार किया ? संक्षेप में समझाते हुए उनके इस तरह के व्यवहार का कारण तथा सच्चाई जानने के बाद की स्थिति का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर : (i) ‘उसके’ शब्द का प्रयोग श्यामू के लिए किया गया है। उसके दुखी होने का कारण उसकी माँ की मृत्यु थी।
(ii) एक दिन श्यामू अकेला बैठा आकाश की ओर ताक रहा था तो उसने एक उड़ती पतंग देखी। पतंग देखकर उसका हृदय खिल उठा। उसने अपने पिता से एक पतंग माँगी।
(iii) पिता ने ‘हाँ’ करके भी श्यामू को पतंग लाकर नहीं दी तो उसने पिता के कोट से एक चवन्नी चुरा ली और सुखिया दासी के पुत्र भोला से पतंग मँगवा ली। यह कार्य चोरी के अपराध में आता है परंतु अपनी माँ के मोह में जकड़े श्यामू के लिए यह कतई अपराध न था।
(iv) विश्वेश्वर को अपने कोट से रुपया चोरी होने का पता चला तो वे श्यामू से पूछते हैं। डरकर भोला ने सारी कहानी बता दी। पिता ने श्यामू के दो तमाचे जड़ दिए और पतंग फाड़ डाली। परंतु जब उन्हें चोरी के कारण – का पता चला तो उनका सारा क्रोध शांत हो गया और उनके मन में पीड़ा जाग उठी।
प्रश्न.6 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
विदेशों में उसके चित्रों की धूम मच गयी। भिखारिन और दो अनाथ बच्चों के उस चित्र की प्रशंसा में तो अखबारों के कॉलम के कॉलम भर गए। शोहरत से ऊँचे कगार पर बैठ चित्रा जैसे अपना सब कुछ भूल गयी।
(दो कलाकार’-मन्नु भंडारी) [‘Do Kalakar’—MannuBhandari]
(i) ‘उसके चित्रों’ से क्या तात्पर्य है ? समझाइए।
(ii) चित्रा कौन थी ? उसके चरित्र की मुख्य विशेषता को बताइए।
(iii) अरूणा कौन थी जब उसे भिखारिन वाली घटना का पता चला तो उसपर क्या प्रभाव पड़ा और उसने क्या किया ?
(iv) चित्रकारिता और समाज सेवा में आप किसे उपयोगी मानते हैं और क्यों ? कहानी के माध्यम से समझाइए।
उत्तर :
(i) ‘उसके चित्रों’ से तात्पर्य चित्रा द्वारा बनाए गए चित्रों से है। वह एक श्रेष्ठ कलाकार थी और उसके चित्रों का संबंध जीवन से न होकर केवल कला से था।
(ii) चित्रा धनी पिता की इकलौती बेटी है। उसका शौक चित्रकला है। उसमें मानवता और संवेदना की कमी है। उसकी दृष्टि कला को कला के लिए मानने वाली है।
(iii) अरूणा चित्रा की सहपाठिन सखी थी। उसके जीवन का उद्देश्य मानवता की सेवा है। वह भिखारिन की मृत्यु पर उसके दोनों बच्चों को अपना लेती है।
(iv) चित्रकारिता और समाजसेवा में निश्चित रूप से समाजसेवा उपयोगी है क्योंकि इसका संबंध मानवता से है। जो कला जीवन को महत्त्व न दे, वह कला नहीं है। कला और कलाकार वही सार्थक है जो अरूणा की तरह संवेदना से भरा हो। चित्र जैसा भौतिकवादी कलाकार मानवता के लिए व्यर्थ है।
प्रश्न.7 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैंने कहा – ‘‘होगा कोई।’’ तीन गज की दूरी से दिख पड़ा, एक लड़का, सिर के बड़े-बड़े बाल खुजलाता चला आ रहा था। नंगे पैर, नंगे सिर, एक मैली सी कमीज़ लटकाए है।
(अपना-अपना भाग्य’-जैनेन्द्र कुमार)[‘Apna-Apna Bhagya’—Jainendra Kumar]
(i) यहाँ पर किस बालक के सन्दर्भ में कहा गया है ? उस समय उसकी क्या स्थिति थी ?
(ii) बालक ने अपने घर-परिवार के सम्बन्ध में क्या-क्या बताया ?
(iii) इस समय उस बालक के सामने कौनसी समस्या थी ? क्या उस समस्या का हल हो पाया ? यदि नहीं तो क्यों ?
(iv) इस कहानी के माध्यम से लेखक ने हमें क्या सन्देश देना चाहा है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : (i) यहाँ पर एक ऐसे निर्धन, असहाय और शोषित पहाड़ी बालक के विषय में कहा गया है जो बर्फ में ठिठुर कर दम तोड़ देता है। उसके सिर, पैर, नंगे थे। शरीर पर केवल एक मैली-सी कमीज़ थी।
(ii) बालक ने बताया कि वह गरीबी से तंग आकर नैनीताल भाग आया है। उसके माता-पिता पंद्रह कोस दूर गाँव में रहते हैं। उसके कई भाई-बहन और माँ-बाप भूखे रह रहे थे।
(iii) इस समय बालक के सामने रात काटने की और बर्फ के प्रकोप से बचने की समस्या थी। उसे उस दुकान पर से हटा दिया गया था, जहाँ वह काम करने के बाद सोता था। यह समस्या हल नहीं हो सकी क्योंकि वकील जैसे भद्रपुरुषों में मानवता नाम की कोई भावना नहीं थी।
(iv) प्रस्तुत कहानी द्वारा लेखक ने बताया है कि आज के लोगों में दया और मानवता की भावना शून्य होती जा रही है। लोग किसी विवश व अभावग्रस्त दुखी बालक पर दया नहीं दिखाते। वकील साहब जैसे लोग स्वार्थी, हृदयहीन और संवेदनहीन हैं। इसी निर्ममता ने बालक की जान ले ली।
साहित्य सागर – पद्य भाग
(Sahitya Sagar–Poems)
प्रश्न.8 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
‘‘मैया मेरी, चंद्र खिलौना लेहौं।।
धौरी को पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुथैहौं।
मोतिन माल न धरिहौं उर पर झुंगली कंठ न लैहौं।
जैहौं लोट अबहिं धरनी पर, तेरी गोद न ऐहौं।।
लाल कहैहौं नंद बाबा को, तेरो सुत न कहैहौं।।’’
(‘सूर के पद’-सूरदास) [‘Sur Ke Pad’–Surdas]
(i) प्रस्तुत पद्य में कौन अपनी माता से ज़िद कर रहे हैं ? वे क्या प्राप्त करना चाहते हैं ?
(ii) उनकी माता कौन हैं ? वे अपने पुत्र को देखकर कैसा अनुभव कर रही हैं ? स्पष्ट कीजिए।
(iii) खिलौना न मिलने की स्थिति में बाल -ष्ण अपनी माँ को क्या-क्या धमकियाँ दे रहे हैं ? स्पष्ट कीजिए।
(iv) रूठे हुए बालक को बहलाने के लिए माँ क्या कहती है ? बालक पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है ? सूरदास जी की भक्ति भावना का परिचय देते हुए समझाइए।
उत्तर : (i) प्रस्तुत पद्य में कवि सूरदास ने वात्सल्य रस का चित्रण किया है। कृष्ण की बाल-लीला अद्भुत है। वे अपनी माता यशोदा से चाँद को खिलौने के रूप में माँग रहे हैं।
(ii) कृष्ण की माता यशोदा है। वे अपने पुत्र की बालसुलभ लीलाओं को देख-सुनकर मंत्रमुग्ध हो रही हैं। उन्हें अपने पुत्र के बाल हठ पर आनंद का अनुभव हो रहा है।
(iii) बाल कृष्ण अपनी माँ को दूध न पीने, चोटी न गुँथवाने, मोतियों की माला न पहनने, गले में झंगलि न पहनने धरती पर लेटने, गोद में न आने और यशोदा के स्थान पर नंद का पुत्र कहलाने की धमकियाँ दे रहे हैं।
(iv) यशोदा अत्यंत चतुराई से कृष्ण के कान में कहती हैं कि वे उसके लिए चंद्र से भी सुंदर दुलहन लाएँगी। माँ की यह रहस्य भरी बात सुनकर कृष्ण चंद्र रूपी खिलौना लेने का हठ भूल गए और तुरंत विवाह करवाने का हठ करने लगे। इस पद्य में सूरदास की वात्सल्य भाव की भक्ति का मनोरम वर्णन है।
प्रश्न.9 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
‘‘न्यायोचित सुख सुलभ नहीं
जब तक मानव-मानव को
चैन कहाँ धरती पर तब तक
शांति कहाँ इस भव को ?
जब तक मनुज-मनुज का यह
सुख भाग नहीं सम होगा
शमित न होगा कोलाहल
संघर्ष नहीं कम होगा।“
(स्वर्ग बना सकते हैं’-रामधारी सिंह ‘दिनकर’)[‘Swarg Bana Sakte Hai’—Ramdhari Singh ‘Dinkar’]
(i) ‘भव’ शब्द का क्या अर्थ है ? कवि के अनुसार इस भव में शांति क्यों नहीं है ?
(ii) शब्दों के अर्थ लिखिए – न्यायोचित, सम, सुलभ, कोलाहल।
(iii) ‘शमित न होगा कोलाहल संघर्ष नहीं कम होगा’ पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
(iv) उपरोक्त पंक्तियाँ ‘दिनकर जी’ की किस प्रसिद्ध रचना से ली गई है ? कविता का केन्द्रीय भाव लिखते हुए बताइए।
उत्तर :
(i) ‘भव’ शब्द का अर्थ है-संसार । कवि का विचार है कि जब तक मनुष्य को धरती पर न्यायसंगत सुख प्राप्त नहीं होते, तब तक संसार में शांति संभव नहीं।
(ii) न्याय की दृष्टि से उचित, समान, सुगम रूप से उपलब्ध, शोर।
(iii) इस पंक्ति का अर्थ है कि जब तक संसार में समाज-सापेक्ष दृष्टि नहीं उपजती, तब तक संघर्ष और असंतोष का शोर कम नहीं होगा।
(iv) प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रसिद्ध रचना ‘कुरुक्षेत्र’ से ली गई हैं। इस कविता का केंद्रीय भाव समतावाद से जुड़ा हुआ है। कवि का विचार है कि यदि हम प्रकृति द्वारा दी गई वस्तुओं व उपहारों का समान रूप से उपभोग करें तो यह धरती स्वर्ग बन सकती है और संघर्ष मिट सकते हैं।
प्रश्न.10 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए रू-
जन्मे जहाँ थे रघुपति जन्मी जहाँ थी सीता।
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।।
गौतम ने जन्म लेकर जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
(वह जन्मभूमि मेरी’- सोहनलाल द्विवेदी) [‘Wah Janamabhumi Meri’—Sohanlal Dwivedi]
(i) प्रस्तुत कविता किस प्रकार की है इस कविता में किसका गुणगान किया गया है ?
(ii) कवि ने भारत को युद्धभूमि और बुद्धभूमि क्यों कहा है ? समझाकर लिखिए।
(iii) प्रस्तुत कविता में जन्मभूमि की किन-किन प्रा-तिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
(iv) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारत को किन-किन महापुरुषों की भूमि कहा है ? कविता का केन्द्रीय भाव लिखते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
(i) प्रस्तुत कविता देश-प्रेम से भरपूर कविता है। इसमें कवि ने भारतवर्ष की भूमि की प्रमुख विशेषताओं का गुणगान किया है।
(ii) कवि ने भारत को बुद्ध के कारण दया व अहिंसा का पुजारी स्वीकार किया है और इसे बुद्धभूमि कहा। दूसरी ओर आत्मसम्मान व मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार रहने वाले रण-बाँकुरों की ओर संकेत करके इसे युद्धभूमि कहा है।
(iii) प्रस्तुत कविता में जन्मभूमि को हिमालय की ऊँचाई, सिंधु की विशालता, गंगा, यमुना और त्रिवेणीजी की पवित्रता जैसी प्राकृतिक विशेषताओं के साथ जोड़ा है।
(iv) प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत को राम-सीता, कृष्ण, गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों की भूमि कहा है। कवि के अनुसार यह जन्मभूमि आदर्शों, कर्मशीलता, मानवता और ममतामयी पवित्रता से जुड़े महापुरुषों की भव्य भूमि है।
नया रास्ता-सुषमा अग्रवाल
प्रश्न.11 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
”मीनू ……… अरे मीनू कैसे कर सकती है ? यह रस्म तो शादीशुदा बहन ही कर सकती है। मीनू की तो अभी शादी भी नहीं हुई।“
(i) उपर्युक्त कथन की वक्ता कौन है उसका परिचय दीजिए।
(ii) वक्ता ने क्यों कहा कि मीनू यह रस्म नहीं कर सकती ? यहाँ किस रस्म की बात हो रही है ?
(iii) वक्ता की बात सुनकर मीनू तथा मीनू की माँ की स्थिति का वर्णन करते हुए बताइए कि क्या उसके द्वारा वह रस्म पूरी की गई थी ? स्पष्ट कीजिए।
(iv) ”एक अविवाहित स्त्री को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता।“ उपन्यास के आधार पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर : (i) प्रस्तुत कथन की वक्ता मीनू की बुआ है। वह परंपराओं से चिपकी हुई स्त्री है। रीति-रिवाज़ों के नाम पर उसके विचार बहुत पुरातन हैं। वह रीति के नाम पर किसी को भी चोट पहुँचा सकती है।
(ii) मीनू की छोटी बहन आशा की शादी हो रही थी। एक रस्म के अनुसार बड़ी बहन को आरती उतारनी थी। परंतु मीनू की अभी तक शादी नहीं हुई थी। अतः वह बड़ी बहन होकर भी इस रस्म को नहीं निभा सकती थी।
(iii) बुआ की बात सुनकर मीनू की माँ ने दृढ़ता का परिचय दिया और निर्णय सुनाया कि मीनू ही वह रस्म निभाएगी। अतः पुरातनपंथी का विरोध करते हुए व्यवहारवादी दृष्टि अपनाई गई। विरोध व कटाक्ष की उपेक्षा करके मीनू ने आरती उतारी।
(iv) हमारा समाज अविवाहित स्त्री को सम्मान देने के पक्ष में नहीं रहा है। परंतु आज युग व दृष्टि बदल रही है। शिक्षित स्त्रियाँ प्रायः देरी से शादी करती हैं। वे पहले अपने आधार को सुदृढ़ करना चाहती हैं। उनके विचार विवाह के संदर्भ में बदलते जा रहे हैं।
प्रश्न.12 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
आखिर सरिता को देखने का दिन आ ही गया। अमित के घर में विशेष चहल-पहल थी। अमितकी माताजी में विशेष उत्साह नजर आ रहा था। माताजी के कहने में आकर उसके पिता भी इस रिश्ते में रूचि लेने लगे थे। अमित की बहन मधु भी अपनी होने वाली भाभी को देखने के लिए उत्सुक थी।
(i) अमित कौन है उसका संक्षिप्त परिचय दीजिये।
(ii) विशेष चहल-पहल का क्या कारण था, इस अवसर पर अमित की स्थिति स्पष्ट कीजिए। (iii) मायारामजी को स्वर्ग की अनुभूति कहाँ और कैसे होती है और क्यों होती है ?
(iv) अमित और सरिता के बीच हुई बातचीत को संक्षेप में लिखिये।
उत्तर : (i) अमित मीनू को देखने आता है। उसकी माँ दहेज की लोभी है, परंतु वह विवाह के संदर्भ में व्यवहारवादी व मानवतावादी विचार रखता है। उसको दहेज जैसी कुप्रथा के प्रति घृणा है। इसीलिए वह अपनी माँ से धनीमल जैसे धनियों से रिश्ता तय न करने की बात करता है।
(ii) विशेष चहल-पहल का कारण यह था कि अमित के लिए सरिता को देखने का दिन आ गया था। मीनू और उसके माता-पिता को अमित के माता-पिता ने टालमटोल भरा पत्र लिख दिया था। वे धन की चकाचौंध में आ चुके थे। परंतु अमित इन लोगों के विपरीत उदास व चिंतित था।
(iii) धनीमल की कोठी पर पहुँचते ही मायाराम को लगा, जैसे वे स्वर्ग में आ गए हों। सबका विशेष स्वागत किया गया। धन की चमक ने मायाराम का मन मोह लिया।
(iv) अमित और सरिता की भेंट में सरिता ने बताया कि उसे घर के कामकाज में विशेष रुचि नहीं है। पिताजी शादी के बाद एक नौकर साथ भेज देंगे और सारा काम वही करेगा।
प्रश्न.13 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
मीनू के हृदय में बचपन से ही अपंगों के लिए दया की भावना थी परन्तु मनोहर को तो वैसे भी वह बचपन से जानती थी। इसीलिए उसकी यह हालत उससे देखी नहीं जा रही थी। मीनू ने मन ही मन निश्चय दिया कि वह किसी न किसी रूप में मनोहर की सहायता अवश्य करेगी। विवाह के फ़ालतू खर्च में से कुछ रुपये बचाकर अपाहिज मनोहर की सहायता करने का उसने संकल्प लिया।
(i) मनोहर कौन था ? वह मीनू के पास क्यों आया था ?
(ii) उसकी यह दशा कैसे हो गयी थी ? संक्षेप में समझाइए।
(iii) मीनू ने मन ही मन क्या निश्चय किया और मनोहर की सहायता कैसे की ?
(iv) मीनू के इस कार्य से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? क्या आपने भी कभी किसी की इस प्रकार से सहायता की है समझाइए।
उत्तर : (i) मनोहर राजो का चचेरा भाई है। वह मीनू के पास उसके विवाह में हाथ बँटाने आया है।
(ii) मनोहर को एक फैक्ट्री में नौकरी मिली थी। काम करते हुए उसका पैर मशीन में आ गया। साथ ही सीधे हाथ की दो अंगुलियाँ भी कट गईं।
(iii) मीनू के मन में बाल्यकाल से ही अपंगों के प्रति विशेष दया-भावना थी। उसने मन ही मन यह निश्चय किया कि वह विवाह के खर्च से कटौती करके असहाय मनोहर की सहायता करेगी। उसने विचार-विमर्श के बाद उसे पान की दुकान खुलवा देने का निर्णय श्रेष्ठ लगा और उसने दुकान खुलवाकर उसका जीवन सुधार दिया।
(iv) मीनू का यह त्याग और अपंग-प्रेम निश्चित रूप से आदर्श और अनुकरणीय है। हम सभी को शादी में इस प्रकार के व्यर्थ खर्च की कटौती करके उन दीन-दुखियों की सहायता करनी चाहिए। मैंने तो नहीं, परंतु मेरे पिता जी ने एक अपंग विधवा को फोन-बूथ खुलवा कर दिया था जिसके बाद उसका जीवन सहज हो गया था।
एकांकी संचय
(Ekanki Sanchay)
प्रश्न.14 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
अब भी आँखें नहीं खुलीं ? जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए दूसरों से चाहते हो वही दूसरे की बेटी को भी दो। जब तक तुम बहू और बेटी को एक-सा नहीं समझोगे, न तुम्हें सुख मिलेगा न शांति।
(बहू की विदा’-विनोद रस्तोगी) [‘Bahu Ki Vida’—Vinod Rastogi]
(i) वक्ता का परिचय देते हुए कथन का सन्दर्भ लिखिए।
(ii) ‘‘अब भी आँखें नहीं खुली ?’’ कहने से वक्ता का क्या अभिप्राय है ? पाठ के सन्दर्भ में समझाइए।
(iii) एकांकी के अन्त में श्रोता क्या फैसला लेता है और क्यों ? समझाइए।
(iv) इस एकांकी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? एकांकी के उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
(i) प्रस्तुत कथन की वक्ता राजेश्वरी है। वह जीवनलाल नामक एक धनी व्यापारी की पत्नी है। प्रस्तुत कथन उस समय का है जब जीवनलाल की बेटी के ससुराल वाले उसे राखी के अवसर पर मायके भेजने से मना कर देते हैं।
(ii) ‘अब भी आँखें नहीं खुली’-का अभिप्राय यह है कि जीवनलाल हठी और लोभी है। वह धन के लोभ में आकर अपनी पुत्रवधू को राखी के अवसर पर मायके नहीं भेजता। इधर उसकी अपनी पुत्री के ससुराल वाले जब उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं तो समाचार पाकर आँखें खुलने की चर्चा हो रही है।
(iii) एकांकी के अंत में जीवनलाल का हृदय परिवर्तन हो जाता है। अपनी पुत्री के साथ वैसा ही व्यवहार होते देख उसकी आँखें खुल गईं और उसने बहू को मायके के लिए विदा करने का निर्णय ले लिया।
(iv) प्रस्तुत एकांकी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें बहू के रूप में अपने घर में आई दूसरों की बेटियों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जैसा हम अपनी बेटियों के साथ कभी भी नहीं देखना चाहते।
प्रश्न.15 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए-
आपके विवेक पर सबको विश्वास है। मैं आपसे निवेदन करने आई हूँ कि यद्यपि समय के फेर से आज हाड़ा, शक्ति और साधनों में मेवाड़ के उन्नत राज्य से छोटे हैं, फिर भी वे वीर हैं। मेवाड़ को विपत्ति के दिनों से सहायता देते रहे हैं। यदि उनसे कोई धृष्टता बन पड़ी हो, तो महाराणा उसे भूल जाएँ और राजपूत शक्तियों में स्नेह का सम्बन्ध बना रहने दें।
(मात भूमि का मान’-हरिकृष्ण‘प्रेमी’)[‘Matribhoomi Ka Man’—Harikrishna ‘Premi’]
(i) प्रस्तुत कथन किसने, किससे कहा है ? स्पष्ट कीजिए।
(ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए।
(iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस सन्दर्भ में अपने विचार दीजिए।
(iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए।
उत्तर : (i) प्रस्तुत संवाद चारणी ने महाराणा लाखा से कहा है। वह मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा के सेना के सैनिक वीरसिंह की साथी है जो बूंदी का रहने वाला है।
(ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है।
(iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
(iv) प्रस्तुत एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह की गाथा अमर हो गई।
प्रश्न.16 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए –
बेटा, बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं – बड़प्पन तो मन का होना चाहिए। और फिर बेटा घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता। बहू तभी पृथक होना चाहेगी जब उसे घृणा के बदले घृणा दी जाएगी। लेकिन यदि उसे घृणा के बदले स्नेह मिले तो उसकी समस्त घृणा धुँधली पड़कर लुप्त हो जाएगी।
(सूखी डाली’-उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’)[‘Sukhi Dali’—Upendranath ‘Ashka’]
(i) प्रस्तुत कथन का वक्ता कौन है ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
(ii) श्रोता ने वक्ता को छोटी बहू के संबंध में क्या बताया था ?
(iii) वक्ता ने परिवार में एकता बनाये रखने का क्या उपाय निकाला ? क्या वे इसमें सफल हुए ? स्पष्ट कीजिए।
(iv) प्रस्तुत एकांकी किस प्रकार की एकांकी है ? इस एकांकी लेखन का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर :
(i) प्रस्तुत कथन के वक्ता दादा हैं जिनका नाम मूलराज है। वे परिवार के मुखिया हैं।
(ii) श्रोता परेश दादा मूलराज से कहता है कि छोटी बहू बेला का इस घर में मन नहीं लगता। उसे घर का कोई भी सदस्य पसंद नहीं करता। सभी उसकी निंदा करते हैं। अत: वह स्वतंत्र घर बसाकर रहना चाहती है।
(iii) वक्ता ने परिवार में एकता बनाए रखने के लिए परेश को सुझाव दिया कि वह बेला को साथ ले जाकर बाज़ार से उसकी पसंद की चीजें खरीदवा दे। वे यह भी कहते हैं कि वे घर में सभी को समझा देंगे कि कोई भी बेला का अपमान नहीं करेगा। वे इसमें सफल होते हैं क्योंकि घर के सभी सदस्य बेला को अधिक सम्मान देने लगते हैं जिसकी प्रतिक्रिया में छोटी बहू को बदलना पड़ता है।
(iv) प्रस्तुत एकांकी एक पारिवारिक एकांकी है जिसमें उपेंद्रनाथ अश्क ने संदेश दिया है कि यदि दूरदर्शिता, सूझबूझ और व्यावहारिकता से काम लिया जाए तो पारिवारिक समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से हमारे परिवार बिखरने से बचाए जा सकते हैं।