राजस्थान भूगोल

राजस्थान भूगोल

Geetanjali Academy- By Jagdish Takhar

 

राजस्थान मेें राष्ट्रीय उद्यान

1. रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यानः-

  • राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान।
  • सवाई माधोपुर जिले में 282.03 वर्ग कि.मी. में विस्तृत।
  • 1 नवम्बर, 1980 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  • विभिन्न प्रकार के सर्वाधिक जीव पाए जाते है।
  • त्रिनेत्र गणेश जी एवं जोगी महल प्रमुख विशेषता है।

1955 से 1979 तक यह अभ्यारण्य था। 1974 में ‘‘प्रोजेक्ट टाईगर‘‘ से जुड़ा।

 

2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान:- 

  • भरतपुर जिले में स्थित।
  • क्षेत्रफल 28.73 वर्ग कि.मी.
  • 1956 में अभ्यारण्य।
  • 27 जुलाई, 1981 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित।
  • 1985 में विश्व विरासत सूची में शामिल।
  • साईबेरियन सारस, अजगर के कारण प्रसिद्ध।

 

3.  मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान:- 

  • कोटा एवं चित्तौडगढ़ जिलों में विस्तृत।
  • कुल क्षेत्रफल 199.55 वर्ग कि.मी.।
  • 9 जनवरी, 2012 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित।
  • इसमें तीन अभ्यारण्य के क्षेत्र आते है।

         दर्रा 152.32 वर्ग कि.मी.

        जवाहर सागर 37.98 वर्ग कि.मी.

        चम्बल 5.25 वर्ग कि.मी.

  • गागरोणी तोते एवं बाघ के लिए प्रसिद्ध

 

आखेट निषिद्ध क्षेत्र:-  33

कुल 26719.94 वर्ग कि.मी. में विस्तृत

सबसे बड़ा: संवतसर-कोटसर (चुरू)

सबसे छोटा: संथाल सागर (जयपुर/दौसा सीमा)

33 आखेट निषिद्ध क्षेत्र 17 जिलों में विस्तृत है।

 

जोधपुर – 7 अलवर – 2 टोंक – 1
बीकानेर – 5 जयपुर – 2 जालौार – 1
अजमेर – 3 बाड़मेर – 1 सवाई माधोपुर – 1
चुरू – 1 बूँदी – 1 नागौर – 2
उदयपुर – 1 पाली – 1 चित्तौड गढ़ – 1
जैसलमेर – 2 बांरा – 1

 

मृगवन:-

 

1 चित्तौडगढ़ मृगवन – चित्तौड

2 माचिया सफारी – जोधपुर

3 पुष्कर मृगवन – अजमेर

4 अमृता देवी – खेजड़ली, जोधपुर

5 सज्जन गढ़ – उदयपुर

6 संजय उद्यान – शाहपुरा, जयपुर

7 अशोक विहार – जयपुर

 

जंतुआलय :- कुल 5 है।

1 जयपुर – 1876 में स्थापित, सबसे बड़ा एवं पुराना।

2 उदयपुर

3 कोटा

4 बीकानेर

5 जोधपुर

 

अभ्यारण्य:-

  अभ्यारण्य प्रमुख जीव
1 राष्ट्रीय मरू गोड़ावण
2 सरिस्का बाघ, हरे कबूतर, मोर
3 केसर बाग जरख, लोमड़ी
4 वन विहार जरख, बघेरा
5 राम सागर गीदड़, भेडिया
6 बांध बारेठा पक्षी, बाघ
7 ताल छापर काले मृग, कुरंजा
8 रामगढ़ विषधारी बाघ
9 कुम्भल गढ़ भेडिया, भालु
10 सीतामाता उड़न गिलहरी
11 सज्जन गढ़ हिरण
12 माउण्ट आबू जंगली मुर्गा, भालु
13 भैंसरोड़ गढ़ घड़ियाल
14 फुलवारी की नाल
15 जवाहर सागर मगर, घडियाल
16 शेर गढ़ साँप
17 कैलादेवी जरख, बघेरा
18 दर्रा गगरोनी तोते
19 सवाई मानसिंह बाघ
20 नाहर गढ़ जैविक पार्क, बघेरा, साही
21 जमवा रामगढ़ चिड़िया
22 जयसमंद लकड़बग्घा, सियार
23 टाड़गढ़ रावली रीछ, जरख
24 बस्सी जरख
25 राष्ट्रीय चम्बल घडियाल, डाल्फिन

 

राजस्थान की औद्योगिक नीति

  1. जनता सरकार की औद्योगिक नीति, जून 1978 ई.
  2. शेखावत सरकार की औद्योगिक नीति, 1990
  3. औद्योगिक नीति, 1994
  4. औद्योगिक नीति, जून 1998 → आधारभूत ढाँचे का विकास
  5. निवेश नीति → 28 जूलाई, 2003
  6. नए निवेश पर या स्थापित इकाइयों द्वारा आधुनिकीकरण विस्तार हेतु निवेश पर लक्जरी टेक्स पर 100ः, स्टाम्प ड्यूटी पर 50ः छूट का प्रावधान है।
  7. नई औद्योगिक नीति: फरवरी, 2005
  8. औद्योगिक व निवेश प्रोत्साहन नीति, जून 2010।

 

राजस्थान में भारत सरकार के औद्योगिक उपक्रम

      1. हिन्दुस्तान कॉपर लि. (भ्ब्स्):- 1967, मुख्यालय – कोलकाता।

      प्रमुख परियोजनाएँ:-

  • खेतड़ी कॉपर कॉम्पलेक्स।
  • खो दरीबा ताम्र परियोजना।
  • चांदमारी ताम्र परियोजना।

     2. हिन्दुस्तान जिंक लि. (भर््स्):- 1966, प्रधान कार्यालय – उदयपुर।

  • जिंक स्मेलटर, देबारी
  • जिंक स्मेलटर, चन्देरिया (चित्तौड गढ़)

      3. हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (भ्डज्):- 1964, चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से स्थापित किया गया अजमेर में।

        इन्स्टूªमेन्ट लिमिटेड:- 1964 में कोटा में स्थापना।

  • इसकी सहायक राजस्थान इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड इन्स्टूªमेन्ट लिमिटेड, कनकपुरा (जयपुर) में स्थापित किया गया।

      4. सांभर साल्ट्स लि.:- 1964, सांभर (जयपुर) में।

  • केन्द्र व राज्य का अंश 60: 40 है।
  • इस झील से सोडियम क्लोराइड, सोडियम सल्फेट, सोडियम बाई कार्बोनेट का उत्पादन किया जाता है।

      5. राजस्थान ड्रग्स एण्ड फार्मास्यूटिकल्स लि.:- 1978 में जयपुर।

      6. मॉडर्न बंेकरीज इण्डिया लिमिटेड:- 1965, जयपुर।

  • वर्तमान में इसे हिन्दुस्तान लिवर लिमिटेड को बेच दिया गया।

 

राज्य सरकार के औद्योगिक उपक्रम

  1. राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स, डीडवाना (नागौर)
  2. दी गंगानगर शुगर मिल्स लि., श्री गंगानगर
  3. स्टेट वूलन मिल्स, बीकानेर (1960)
  4. राजस्थान स्टेट टेनरीज लि. (टोंक), (1971) – (भेड़ की खाल का चमड़ा)
  5. वस्टेड स्पिनिंग मिल, चुरू (लाडनू) → RAJSICO संचालित करती है।
  6. प्लोर्सपार बेनिफिशयल संयंत्र → माण्डों की पाल (डूंगरपुर)
  7. CIMCO → Central India machinery manufacturing company

→ भरतपुर (1957)

→ रैल वेगन बनाए जाते है।

 

राज्य के प्रमुख औद्योगिक निगम / संस्थाए

1. RIICO [Rajasthan State Industrial development and investment corporation Ltd.]

  • स्थापना: 28 मार्च, 1969

1979 में इससे RSMDC को अलग कर दिया गया।

  • प्रमुख कार्य:- 

(1) EPIP की स्थापना → 

          प्रथम – सीतापुरा

     दूसरा – बोरनाडा

     तीसरा – नीमराणा

 

(2) एपैरल पार्क:- RIICO द्वारा बगरू-छितरौली में विकसित किया जा रहा है।

 

(3) एग्रो फूड़ पार्क (झालावाड़):- निजी क्षेत्र के सहयोग से भ्वजपबनसजनतम भ्नइ

    प्रथम – शनपुर (कोटा)

    दूसरा – बोरनाड़ा (जोधपुर)

    तीसरा – उद्योग विहार (गंगानगर)

    चतुर्थ – अलवर

 

(4) इंट्रिग्रेटेड टेक्सटाईल पार्क:-   

किशनगढ़ (अजमेर)

सेनियाणा (चित्तोड गढ़)

बलोतरा (बाड़मेर)

मण्डा-भिण्डा (कालाडेरा), जयपुर

 

(5) सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क:- 

    कनकपुरा (जयपुर)

 

(6) दस्तकारी औद्योगिक पार्क:- 

    पाल शिल्पग्राम (जोधपुर)

    जैसलमेर

 

(7) बायोटेक्नोलॉजी पार्क:- 

   सीतापुरा चोपन्की (भिवाडी)

 

(8) इन्फ्रास्ट्रकचर पार्क:- 

   नीमराना (अलवर)

 

(9) सायबर पार्क:- जोधपुर

 

(10) स्पाईस पार्क (मसाला):- पहला कोटा

 

(10) जापानीज पार्क:- नीमराना (अलवर)

    छपेेपदए डपजेनपए क्ंपापदए डपजेनइपेीप 

     – क्ंपदपबीप ब्वउचंदपमे के कार्यालय।

     37 कम्पनियों के वाणिज्य कार्यालय।

 

(11) खुशखेडा (भिवाडी) – होण्डा सिटी 

    कार प्रोजेक्ट

 

(12) टपूकरा/टपूकड़ा – होण्डा मोटर 

     साईकल प्लान्ट।

 

2. RFC – Rajasthan Finance Corporation

  • एक वैधानिक निगम है।
  • स्थापना अप्रैल, 1955, मुख्यालय – जयपुर।
  • मुख्य उद्देश्य – लघु एवं मध्यम उद्योगों को दीर्घकालीन वित्तीय सहायता प्रदान करना।

प्रमुख योजना:-

(1) शिल्पबाडी योजना (1987-88)

(2) सेमफेक्स (SemFex)

(3) एकल खिडकी योजना (लघु एवं SSI Unit को 2 करोड़ धनराशि उपलब्ध कराना।)

(4) गुड बोरोवर्स लोन स्कीम

(5) गोल्ड कार्ड स्कीम

(6) प्लेटीनम कार्ड स्कीम

(7) सोरल स्कीम

 

3. RAJSICO – Rajasthan Small Industrial Corporation. 

  • स्थापना 1956 के कम्पनी एक्ट के अंतर्गत,  जून 1961 को।
  • मुख्यालय – जयपुर।

प्रमुख कार्य:-

(1) लघु उद्योगों को कच्चा माल, साख, तकनीक व प्रबन्धकीय सहायता उपलब्ध कराना।

(2) ‘राजस्थली‘ की नोडल एजेंसी है।

(3) सांगानेर में ‘एयर कारगो‘ का संचालन

(4) टोंक की मयूर छाप बीड़ी का संचालन

 

राज्य में औद्योगिक विकास के साथ जुड़े संस्थान

      I. उद्योग निदेशालय राजस्थान राज्य उद्योग विभाग (1949):- यह जिला उद्योग केन्द्रों के लिए वार्षिक योजना बनाता है।

      II. जिला उद्योग केन्द्र (1978):- वर्तमान में 36 कार्यरत है।

      III. राजस्थान कन्सल्टेन्सी ऑर्गोनाइजेशन लि. (RAJCON):- 

  • स्थापना 1978
  • छोटे व मध्यम परियोजना प्रवर्तकों को समग्र रूप से तकनीकी, विपणन, प्रबन्धकीय, विकासात्मक व वित्तिय परामर्श प्रदान करना।

 

      IV. उद्योग सम्वर्धन ब्यूरो (ठप्च्):- यह चीफ सेक्रेटरी के अधीन 10 करोड़ रू. तक के निवेश देखती है।

  • स्थापना 1991
  • बड़े उद्योगों को निवेश संबंधी जानकारी देना।
  • 2011 में Rajasthan enterprises single window enabling and clearance Act पास किया गया। इसमें समयबद्ध अनुमति पत्र प्रदान किया जाता है।

 

      V. लघु उद्योग सेवा संस्थान (SISI)

  • स्थापना 1958
  • आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना

 

      VI. ग्रामीण गैर कृषि विकास अभिकरण ( RUDA : Rural Non-FARM Development Agency)

    • स्थापना: 1995

 

  • उद्देश्य:-

 

   (1) ग्रामीण दस्तकारों के जीवन स्तर में सुधार लाना।

   (2) उन्हें बाजार, आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराना।

   (3) हथकरघा विकास हेतु कार्य करना।

 

 

VII. राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड:-

 

स्थापना: 1 अप्रैल, 1955

कार्य:-

    (1) खादी एवं ग्रामोद्योग के विकास की योजना बनाना।

    (2) निम्न आय वर्ग के लोगों को कारीगरों को खादी-ग्रामोद्योग के    

       माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।

    (3) कच्चे माल की व्यवस्था तथा तैयार माल का विपणन करना।

    (4) सहकारी भावना को विकसित करना।

 

 

VIII.  हेंडीक्राफ्ट बोर्ड: स्थापना 1991

 

IX. राजस्थान राज्य व्यवस्था विकास निगम:-

 

 

  • स्थापना: 1984
  • असहकारी या वैयक्तिक क्षेत्र में हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना।

 

तेल क्षेत्र

  • राजस्थान में तेल उत्पादन 29 अगस्त, 2009 से शुरू हुआ।
  • ऑयल इण्डिया द्वारा Venezuelon company से
  •  बीकानेर में CBM निकालने का कार्य (OIDB : Oil Industry Developmet Board) द्वारा किया जा रहा है।

 

राजस्थान खनिज संस्थान

मंत्रालय स्तर (खान विभागक्ष्राजकुमार रिवणाद्व):- यह निम्न लिखित संगठनों के माध्यम से खनिज एवं खान को नियंत्रित, निर्देशित एवं समन्वित करता है।

 

1. राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम लि.(RSMDC) 

 

  • स्थापना: 1979
  • मुख्यालय: उदयपुर
  • यह खनिज संपदा के दोहन एवं विपणन कार्य को त्वरित गति प्रदान करने एवं वैज्ञानिक रीति से विकसित करने का कार्य करता है।
  • मुख्यता जिप्सम उत्पादन में संलग्न।

 

 

2. राजस्थान राज्य टंगस्टन विकास निगम लि. स्थापना: 1983

 

    RSMDC की सहायक कंपनी है। वर्तमान में इसकी दो परियोजनाएँ है।

    (1) खेतगाँव (डेगाना – नागौर)

    (2) वाल्दा (सिरोही)

   3. राजस्थान राज्य खान एवं खनिज निगम लि. (RSMML) RSMDC से पृथक होकर निर्मित हुई है।

  • मुख्यालय: उदयपुर
  • स्थापना: 1974
  • यह झामरकोटडा (उदयपुर) क्षेत्र में रॉक फॉस्फेट का खनन करती है।
  • 2003 में RSMDL को RSMMLमें विलय किया गया।
  • राजस्थान में 79 प्रकार के खनिज पाए जाते है।
  • 1950-51 में खनिज उत्पादन मूल्य  रू. 3.45 करोड़ था।
  • वर्ष 2014-15 में खनिज उत्पादन मूल्य का लक्ष्य 3860 करोड़ रू. रखा गया।
  • खनन क्षेत्र से प्राप्त आय की दृष्टि से राजस्थान देश में 5वां स्थान रखता है।
  • अधात्विक खनिज उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है।

 

भारत में राजस्थान के खनिजों की स्थिति 

राजस्थान का एकाधिकार

  1. सीसा-जस्ता
  2. चाँदी
  3. संगमरमर
  4. तामडा
  5. पन्ना
  6. रॉक-फॉस्फेट
  7. कैडमियम

 

राजस्थान का महत्वपूर्ण स्थान

  1. जिप्सम
  2. एस्बेस्टेस
  3. सिलिका
  4. टंगस्टन
  5. ताँबा
  6. इमारती पत्थर

 

रास्थान में कम

  1. लौहा
  2. मैंगनीज
  3. कोयला
  4. पेट्रोलियम
  5. ग्रेफाईट
  6. बेन्टेनाईट
  7. स्लेटी पत्थर

 

 पूर्ण एकाधिकार

  1. वोलस्टोनाईट 
  2. जास्पर

 

खनिज वर्गीकरण

धात्विक खनिज: ऐसे खनिज जिनसे रासायनिक प्रक्रिया द्वारा मूल खनिज अलग किया जाता है।

 

  • लौह

 

(1) लोहा

(2) मेंगनीज

 

 

  • अलौह

 

(1) सीसा-जस्ता

(2) चाँदी

(3) बेरेलियम

(4) ताँबा

(5) केडमियम

 

अधात्विक खनिज: ऐसे खनिज जिनसे रासायनिक प्रक्रिया द्वारा मूल खनिज को अलग नहीं किया जाता है।

(1) उष्मारोधी: एस्बेस्टेस,  काँच बालुका, फेल्सपार, क्वार्टज, मेग्नेसाइट, वास्थेनाइट, चीनी मृतिका डोलो माइट।

(2) आणविक खनिज: अभ्रक, यूरेनियम

(3) बहुमूल्य खनिज: पन्ना, तामडा

(4) रासायनिक खनिज: नमक, बेराइटस, फ्लोराइट

(5) उर्वरक खनिज: जिप्सम, रॉक फॉस्फट, पाईराईट

         

धात्विक खनिज

1 लौह अयस्क
मेरीजा बानोल चौमू, सामोद
नीमला राइसेला जयपुर, दौसा
डाबला सिंथाना झुझुंनू
नाथरा पाल उदयपुर
थूर हण्डेर उदयपुर
2 मैंगनीज
तलवाडा, लीलवानी बांसवाडा
नेगडिया, स्वरूपपुरा उदयपुर
3 टंगस्टन
डेगाना भाकरी नागौर
वाल्दा बडाबेरा सिरोही
पडराला- बीजापुर पाली
4 सीसा-जस्ता
जावर उदयपुर
राजपुर दरीबा, बामनिया राजसमंद
रामपुरा आगुचा भीलवाडा
चौथ का बरवाडा सवाई माधोपुर
5 ताँबा
खेतड़ी सिंघाना झुंझुनू
खो-दरीबा अलवर
बीदासर चुरू
देलवाडा, केरवाली उदयपुर
पुर दरीबा भीलवाड़ा
6 सोना
आनंदपुर भुकिया, जगपुरा बांसवाड़ा
बासडी-बोरोदा दौसा
7 चाँदी
जावर उदयपुर
रामपुरा अगुचा भीलवाड़ा
8 बेरेलियम
शिकारवाड़ी, चम्पागुढा उदयपुर
देवड़ा भीलवाड़ा
बान्दर सिंदरी अजमेर

 

अधात्विक खनिज

1 एस्बेस्टॉस
ऋषभदेव, सलूम्बर उदयपुर
नाथद्वारा, तिनी राजसमंद
पीपरदा, देवल डूंगरपुर
2 फेल्सपार
मकरेरा, दादलिया अजमेर
चावण्डिया पाली
3 काँच बालुका
झर, कानोता, बांसरवी जयपुर
बडोदिया बूंदी
नारायणपुर-टटवारा सवाई माधोपुर
4 चीनी मिट्टी
वसुव, रायसीना सवाई माधोपुर
पाल जालौर
बुचारा, टोरडा, पुरूषोत्तमपुरा सीकर
5 फायर क्ले
कोलायत बीकानेर
बनिया खेडा भीलवाड़ा
एरल चित्तौड
6 डोलोमाइट
जयपुर 48%
अलवर 23%
सीकर 15%
7 वॉलेस्टोनाइट
बेल्का, खिल्ला सिरोही
रूपनगढ, पीसांगन अजमेर
उपरला खेड़ा, सायरा उदयपुर
8 क्वार्टज अजमेर, पाली, टोंक
9 अभ्रक
नात की नेरी भीलवाड़ा
चम्पागुढा उदयपुर
10 पन्ना (Emerald)
कालागुमान उदयपुर
टिक्की चित्तौड
गोगुन्दा गोगुन्दा
11 तामड़ा (Garnet)
राजमहल टोंक
सरवाड़ अजमेर
12 हीरा (Diamond)
केशरपुर चित्तौड़
अजमेर
13 चुना पत्थर
सानू क्षेत्र जैसलमेर
निम्बाहेड़ा, शम्भुपुरा चित्तौड़
लाखेरी, इन्द्रगढ बूंदी
गोटन, मूंडवा नागौर
14 जिप्सम (हरसौंठ, खडिया)
जामसर, थीरेश, सियासर, लूणकरणसर बीकानेर
बिसरासर गंगानगर
गोठ मंगलोद नागौर
15 रॉक-फॉस्फेट
झामरकोटडा उदयपुर
बिरमानियाँ जैसलमेर
सलोपेट बांसवाड़ा
16 पाइराइट्स
सलादीपुरा-खण्डेला सीकर
17 कोयला (लिग्नाइट)
फ्लाना, बरसिंगसर, हाडला बीकानेर
18 खनिज तेल
गुढ़ा मलानी, कवास, बायतू बाडमेर
सादेवाला, तनोट जैसलमेर
बाधेवाला बीकानेर
19 प्राकृतिक गैस
तनोट, घोटारू, डांडेवाला, मनिहारी जैसलमेर
रागेश्वरी बाड़मेर

 

मृदा

  • ICAR ने अमेरिका की USDA के आधार पर भारत की मिट्टियों को निम्नलिखित क्रम में वर्गीकृत किया है।
  1.     Inceptisole   39.7%
  2.     Entisole       28.08%
  3.     Alfisole       13.5%
  4.     Vertisole      8.5%
  5.     Aridisole     4.2%
  6.     Ultisole        2.5%
  7.     Mollisole     0.4%
  8.     Spodosole 2.9%
  9.     Histosole         2.9%
  10. Andisole 2.9%
  11. Oxisole 2.9%

_________               

100%

 

  • Inceptisole– इसमें गंगा, यमुना एवं ब्रह्मपुत्र घाटी की मृदाएं (बागड) आती है।
  • Entisole – नवीन जलोढ मृदा (खादर) इसमें आती है।
  • Alfisole – इसमें लेटराइटिक एवम लाल मृदाएं आती है।
  • Vertisole– इसमें काली मृदा आती है।
  • Aridsole– अधिकांश रूप में शुष्क क्षेत्र में पाई जाती है।
  • Ultisole– इसमे लाल-पीले रंग की मृदा आती है। प्रमुख रूप में केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा में पाई जाती है।
  • Mollisole– इसमें Chestnut, Chernozem एवं प्रेयरी मृदा आती है। प्रमुख रूप से तराई, उत्तर पूर्व हिमालय के जंगलों की मृदा आती है।
  • Spodosole- इसमें पोडजोल मृदा आती है।
  • Histosole – इसमें पीट एवं दलदली मृदा सम्मिलित होती है।
  • Andisole– ज्वालामुखी मुहाने पर पाई जाती है।
  • Oxisole– सर्वाधिक अपक्षयित मृदा है। केरल में पाई जाती है। 

 

भारतीय मृदा की प्रमुख समस्याएँ

(1) मृदा अपरदन ( Soil Erosion  )

(2) उर्वरता में कमी ( Deficiency in Fertility)

(3) मरूस्थलीकरण ( Desertification )

(4) जलजमाव ( Waterlogging )

(5) लवणता एवं क्षारियता (Solini & Olkalinity)

 

मृदा अपरदन ( Soil Erosion  )

  • जल अपरदन –  9 प्रकार का होता है।

(1) क्षुद्र सरिता (Rill Erosion)

                              Gully Erosion

(2) अवनालिका (Gully Erosion)

(3) परत (Sheet Erosion)

(4) अपस्फुरण (Splash Erosion)→ Sand & Silt

(5) भूस्खलन (Slip Erosion)

(6) सरिता तट (Stream Bank Erosion)

(7) पीटिका (Pedestal Erosion)

(8) हिमानी (Glacier Erosion)

(9) सागरीय (Marine Erosion)

 

  • Marine Erosion

(1) पश्त अपरदन

 

लवणता एवं क्षारता 

लवणता (Salinity) – इसमें मृदा में सोडियम, केल्श्यिम एवं मेग्नेशियम के क्लोराईड एवं सल्फाईड की मात्रा अधिक हो जाती है। 

  • Rock Phosphate  से कम की जा सकती है।
  • लवण एवं क्षार युक्त मृदा को थूर कहा जाता है।
  • भारत में 2.43ः मृदा लवणता एवं क्षारता से ग्रस्त है।

 

  • क्षारता (Olkalinity) – इसके अंतर्गत सोडियम कारबोनेट की मात्रा अधिक हो जाती है।
  • जिप्सम के उपयोग से कम की जा सकती है।

 

राजस्थान की मिट्टियों का उनके भौगोलिक वितरण के आधार पर वर्गीकरण

 

1. रेतीली मृदा: वर्षा यहाँ न्यूनतम होती है। अरावली के पश्चिमी भाग में, रंग के आधार पर निम्न प्रकार की होती है।

       (1) रेतीली बालु: 10 से.मी. वर्षा वाले क्षेत्रों में गंगानगर, बीकानेर, चुरू, जोधपुर, जैसलमेर, बाडमेर, जालौर।

       (2) लाल-रेतीली मिट्टी: नागौर, जोधपुर, पाली, जालौर, चुरू, झुंझुनू।

      (3) भूरी रेतीली मिट्टी: इसे सिरोजम भी कहा जाता है। उर्वरता कम होती है। बाडमेर, जालौर, जोधपुर, सिरोही, पाली, नागौर, सीकर, झुंझुनू।

      (4) लवणीय मृदा: बीकानेर, नागौर, बाडमेर, जैसलमेर में पाई जाती है।

 

  1. जलोढ/कछारी मृदा: 
  • सर्वाधिक बनास प्रवाह में पाई जाती है।
  • अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी
  • इसका रंग कहीं काला व कहीं भूरा है।

 

  1. लाल-पीली मृदा: इसका निर्माण ग्रेनाईट, शीष्ट व नीस चट्टानों से हुआ है। यह सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, सिरोही जिले में पाई जाती है।

 

  1. लाल – लोमीमृदा:
  • लोहांश की मात्रा अधिक पाई जाती है।
  • उत्पादकता सामान्य है।
  • उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़
  • चावल, कपास, मक्का, गन्ना, गेहूँ, के लिए उपयुक्त

 

  1. लाल-काली मृदा:
  • मालवा के पठार का ही विस्तार है।
  • भीलवाड़ा, उदयपुर (पूर्वी), चित्तौड़, डूंगरपुर,बांसवाड़ा
  • सोयाबीन, कपास, मक्का, तिलहन

 

  1. मध्यम काली मृदा: राजस्थान के दक्षिण पूर्वी भागों में झालावाड़, बूंदी, बांरा, कोटा

 

राजस्थान की मृदा का वैज्ञानिक वर्गीकरण

  1. Aridisole:- मरूस्थलीय भाग में पाई जाती है। लवणता अधिक, जल ग्रहण क्षमता न्यून
  2. Alfisole :- रंग भूरा या लाल होता है। जयपुर, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, करौली, भीलवाड़ा, चित्तौड़, प्रतापगढ़, उदयपुर, बूंदी, डूंगरपुर
  3. Entisole :- राज्य के 36.8ः भाग में विस्तृत, पश्चिमी राजस्थान में
  4. Inceptisole:- आद्र एवं जलोढ़ मृदा के मध्य पाई जाती है। सिरोही, पाली, राजसमंद, उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़
  5. Vertisole :- उष्ण व उपोष्ण कटिबंध में पाई जाती है, कपासी मृदा कहलाती है। हाडौती क्षेत्र में

 

राजस्थान में मृदा समस्याएँ

  • सेम समस्या
  • मरूस्थलीय प्रसार
  • खरपतवार
  • जैविक तत्वों की कमी
  • उर्वरता का कम होना
  • अम्लीयता व क्षारीयता

 

राजस्थान मृदा की विशेषताएँ

  • नाइट्रोजन, जीवांश तथा खनिज लवणों की कमी पाई जाती है।
  • भौतिक विघटन एवं रासायनिक अपघटन देखा जाता है।
  • क्षार एवं अम्लीयता अधिक पाई जाती है।

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